इस तारीख से शुरू होंगे चैत्र नवरात्रि, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Chaitra Navratri will start from 2th april : इन 9 दिनों के दौरान मां दुर्गा के 9 स्‍वरूपों की पूजा की जाती है..

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  • Publish Date - March 20, 2022 / 11:05 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:54 PM IST

नई दिल्‍ली। हिंदू पंचाग के अनुसार साल का पहला महीना शुरू हो चुका है, जिसे चैत्र का महीना कहते हैं। इस महीने में चैत्र नवरात्रि मनाया जाता है। इस साल चैत्र नवरात्रि का महापर्व 2 अप्रैल 2022 से शुरू होगा और 11 अप्रैल 2022 तक चलेगा। इन 9 दिनों के दौरान मां दुर्गा के 9 स्‍वरूपों की पूजा की जाती है।

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मालूम होगा कि हिंदू पंचांग के अनुसार साल में कुल 4 नवरात्रि आती है, जिनकी शुरुआत चैत्र नवरात्रि से होती है। नवरात्रि पर्व की शुरूआत कलश स्‍थापना या घट स्‍थापना के साथ शुरू हो जाती है। सुख, संपत्ति, यश की देवी मां दुर्गा की विधि विधान से हर आने वाली हर समस्या टल जाती है। पहले दिन कलश स्‍थापना करके ही सारे देवी-देवताओं का आहवाहन किया जाता है। इसी के साथ ही 9 दिनों का महापर्व नवरात्रि शुरू होता है। कई भक्त 9 दिनों तक व्रत रखकर माता की आराधना करते हैं।

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इस साल चैत्र घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 2 अप्रैल 2022, शनिवार की सुबह 06:22 बजे से 08:31 मिनट तक रहेगा। यानी कि कुल अवधि 02 घण्टे 09 मिनट की रहेगी। इसके अलावा घटस्थापना को अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:08 बजे से 12:57 बजे तक रहेगा। वहीं प्रतिपदा तिथि 1 अप्रैल 2022 को सुबह 11:53 बजे से शुरू होगी और 2 अप्रैल 2022 को सुबह 11:58 पर खत्‍म होगी।

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इन नियमों का जरूर करें पालन
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान करके साफ कपड़े पहन लें। इसके बाद घर के मंदिर की साफ-सफाई करके जिस जगह पर कलस्‍थापना करना है, वहां गंगाजल छिड़कें। फिर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़े चावल रखें। एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें।

इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें. कलश पर स्वास्तिक बनाकर इस पर कलावा बांधें. कलश में चारों ओर अशोक के पत्‍ते लगाएं। फिर कलश में साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें और एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांधें। फिर इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए देवी दुर्गा का आहवाहन करें। इसके बाद दीप जलाकर कलश की पूजा करें। ध्‍यान रखें कि कलश सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का ही हो। कलश स्‍टील सा किसी अन्‍य अशुद्ध धातु का नहीं होना चाहिए। विधि विधान से पूजा अर्चना करने से माता प्रसन्न होते हैं।