नयी दिल्ली, 20 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 की उच्च संक्रमण दर वाले क्षेत्रों में बकरीद के मौके पर केरल सरकार द्वारा पाबंदी में दी गई छूट को मंगलवार को ‘पूरी तरह से अनुचित’ करार दिया और कहा कि व्यापारियों के दबाव के आगे झुकना ‘दयनीय स्थिति’ को दिखाता है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि सभी तरह के दबाव समूह, चाहे धार्मिक हो या अन्य किसी भी सूरत में देश के नागरिकों के सबसे अहम जीवन के मौलिक अधिकार में हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं।
न्यायालय ने केरल सरकार को निर्देश दिया कि वह संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वत्रंता का अधिकार) पर ध्यान दे और उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को लेकर दिए गए उसके आदेश के नियमों का अनुपालन करें।
उच्चतम न्यायालय ने 16 जुलाई को उत्तर प्रदेश में कांवड यात्रा के मामले पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की थी कि धार्मिक सहित सभी भावनाएं जीवन के अधिकार के आगे गौण है।
न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन और न्यायमूर्ति बीआर गवई ने रेखांकित किया ‘डी’ श्रेणी में स्थित ‘बहुत ही चिंताजनक’ है जहां पर संक्रमण दर 15 प्रतिशत है और सोमवार को पूरे दिन की छूट दी गई।
पीठ ने कहा, ‘‘सामने आए तथ्य चिंताजनक तस्वीर पेश करते हैं। दबाव समूह की वजह से छूट देकर देश के नागरिकों के लिए राष्ट्रव्यापी महामारी के जोखिम को बढ़ा दिया है और यह राज्य की दयनीय स्थिति को दिखाता है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘ यहां तक कारोबारियों द्वारा बिना कुछ किए दिए गए भरोसे का सवाल है तो यह भारत की जनता और इस अदालत को विश्वास नहीं दिलाती।’’
पीठ ने कहा, ‘‘यह हलफनामा दयनीय स्थिति को दिखाता है क्योंकि सही मायने में संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वास्थ्य के अधिकार का पालन नहीं किया गया। यह संभवत: यह भी रेखांकित करता है कि ‘डी’ श्रेणी के क्षेत्र में एक दिन की छूट पूरी तरह से अवांछित है।’’
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘इन परिस्थितियों में, हम केरल को निर्देश देते हैं कि वह संविधान के अनुच्छेद-21 और अनुच्छेद 144 पर गौर करे और उत्तर प्रदेश के मामले में दिए गए आदेशों में स्थापित नियमों- 14 जुलाई,16 जुलाई और 19 जुलाई- के पालन करे।’’
न्यायालय ने केरल को चेताया कि अगर पाबंदी में ढील देने संबंधी 17 जुलाई की अधिसूचना से संक्रमण के मामले बढ़े और कोई व्यक्ति शिकायत लेकर आया तो वह कड़ी कार्रवाई करेगा।
पीठ ने कहा, ‘‘धार्मिक अथवा अन्य सहित सभी तरह के दबाव समूह भारत के सभी नागरिकों के सबसे कीमती मौलिक अधिकार में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं। इसके साथ ही अदालत ने केरल सरकार द्वारा बकरीद के मौके पर दी गई ढील के खिलाफ दायर आवेदन का निपटारा कर दिया।
न्यायालय ने 17 जुलाई की अधिसूचना का संदर्भ देते हुए कहा कि अगर सरसरी नजर भी डाले तो दिखेगा कि गैर जरूरी सामान की दुकाने जिन्हें केवल ‘ए’ श्रेणी में खोलने की अनुमति दी गई थी, उन्हें अब ‘ए’ से ‘सी’ श्रेणी क्षेत्रों में खोलने की अनुमति दी गई है।
अदालत ने रेखांकित किया कि छह जुलाई की अधिसूचना के मुताबिक औसतन पांच प्रतिशत से कम संक्रमण् दर वाले इलाकों को ‘ए’श्रेणी में शामिल किया था जबकि पांच से 10 प्रतिशत संक्रमण दर वाले इलाके ‘बी’ श्रेणी, 10 से 15 प्रतिशत संक्रमण दर वाले इलाके ‘सी’ श्रेणी और 15 प्रतिशत से अधिक संक्रमण दर वाले इलाकों को ‘डी’ श्रेणी के तौर पर श्रेणीबद्ध किया गया था। हालांकि, ‘डी’ श्रेणी में सभी दुकानों को सोमवार को यानी 19 जुलाई 2021 के लिए खोलने की अनुमति दी गई जबकि इस श्रेणी के इलाके में पूरे सप्ताह कड़े प्रतिबंध लगाए गए थे। शनिवार और रविवार को प्रतिबंधों को लागू करना था।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि केरल सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे में तीन पैरा और 17 जुलाई की अधिसूचना के साथ पढ़ने से जाहिर होता है कि राज्य व्यापारियों के आगे झुक गया जिन्होंने निवेदन किया था कि बकरीद के लिए उन्होंने सामान मंगवा लिए थे।
पीठ ने कहा, ‘‘राज्य ने प्रसन्नतापूर्वक बताया कि दुकानों को कोविड-19 नियमों का सख्ती से अनुपालन करते हुए खोला जाएगा और वे सरकार द्वारा अतिरिक्त नियमन आदेश अगर जारी होते हैं तो उसे मानने को तैयार हैं।’’
अदालत ने कहा कि उसने याचिकाकर्ता पीकेडी नाम्बियार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह को सोमवार को सुना और प्रथमदृष्टया पाया कि यह मामला तत्काल सुनने योग्य है।
पीठ ने कहा, ‘‘ इसलिए हमने राज्य से एक दिन में हलफनामा दाखिल करने को कहा और इसकी तत्कालिता को देखते हुए आज सुबह सुनवाई को सूचीबद्ध किया।’’
पीठ ने रेखांकित किया गया कि हलफनामें में कहा गया कि यथासंभव वे लोग ही दुकानों एवं अन्य प्रतिष्ठानों में जाएं जिन्होंने कोविड-19 टीके की कम से कम एक खुराक ले ली है या संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं इसके साथ मुख्यमंत्री ने भी अपील की है।
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने 17 जुलाई को संवाददाता सम्मेलन में पाबंदियों में छूट की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि 21 जुलाई को बकरीद (ईद-उल-अजहा) के मद्देनजर 18-20 जुलाई को श्रेणी ए, बी और सी क्षेत्रों में सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक कपड़ा, जूते-चप्पल की दुकानें, आभूषण, फैंसी स्टोर, घरेलू उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक सामान बेचने वाली दुकानें, सभी प्रकार की मरम्मत की दुकानें और आवश्यक सामान बेचने वाली दुकानों को खोलने की अनुमति दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि डी श्रेणी के क्षेत्रों में ये दुकानें 19 जुलाई को ही चल सकती हैं।
न्यायालय ने महामारी के बीच कांवड़ यात्रा की इजाजत देने के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले संबंधी मीडिया में आई खबरों पर पिछले सप्ताह स्वत: संज्ञान लिया था। अदालत ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के कावंड यात्रा के मामले को बंद दिया था और अधिकारियों को सुनिश्चित करने को कहा था कि जीवन को सीधे तौर पर प्रभावित करने वाले किसी भी अवांछित घटना पर तत्काल सख्त कार्रवाई हो।
भाषा धीरज अनूप
अनूप