कोविड टीके के बाद दिव्यांगता का दावा: शीर्ष अदालत ने हर्जाने के लिए मुकदमा दायर करने को कहा

कोविड टीके के बाद दिव्यांगता का दावा: शीर्ष अदालत ने हर्जाने के लिए मुकदमा दायर करने को कहा

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  • Publish Date - April 21, 2025 / 05:37 PM IST,
    Updated On - April 21, 2025 / 05:37 PM IST

नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कथित तौर पर कोविड-19 टीके की पहली खुराक के दुष्प्रभावों के कारण दिव्यांगता का सामना करने वाले एक याचिकाकर्ता से सोमवार कहा कि वह अपनी याचिका को आगे बढ़ाने के बजाय हर्जाने के लिए मुकदमा दायर करें।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कोविड-19 टीकाकरण के विशेष संदर्भ में टीकाकरण के बाद होने वाले दुष्प्रभावों (एईएफआई) के प्रभावी समाधान के लिए उचित दिशानिर्देश निर्धारित करने के निर्देश देने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

पीठ ने कहा, ‘अगर आप अपनी याचिका यहीं लंबित रखेंगे तो दस साल तक कुछ नहीं होगा। यदि आप कम से कम मुकदमा दायर करेंगे तो आपको कुछ त्वरित राहत मिलेगी।’

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि व्यक्ति कोविड टीके की पहली खुराक लेने के बाद उसके प्रतिकूल प्रभावों से पीड़ित है, क्योंकि उसके पैरों में 100 प्रतिशत दिव्यांगता हो गई है।

न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘इसके लिए रिट याचिका कैसे दायर की जा सकती है? क्षतिपूर्ति के लिए मुकदमा दायर करें।’

वकील ने कहा कि समान मुद्दे को उठाने वाली दो अलग-अलग याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं और समन्वय पीठों ने उन पर नोटिस जारी किए हैं।

अदालत ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता चाहे तो उसकी याचिका को लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ दिया जाएगा।

पीठ ने कहा कि यह याचिका लंबे समय तक शीर्ष अदालत में लंबित रह सकती है और 10 साल तक इस पर सुनवाई नहीं हो सकती।

वकील ने पीठ से अनुरोध किया कि उन्हें अपने मुवक्किल के साथ इस पर चर्चा करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाए।

पीठ ने कहा, ‘यदि कम से कम मुकदमा दायर किया जाता है, तो एक वर्ष, दो वर्ष या तीन वर्ष के भीतर आपको कुछ राहत मिलेगी।’

इसके बाद मामले को एक हफ्ते के बाद के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया।

याचिका में केंद्र और कोविशील्ड टीके के निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वे सुनिश्चित करें कि याचिकाकर्ता शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्ति के रूप में सम्मान के साथ रह सके।

भाषा

नोमान मनीषा

मनीषा