हाथियों का दल 3 सौ साल बाद महाराष्ट्र पहुंचा, वन विभाग को खुशी है कि हाथी जंगल को करेंगे आबाद.. हाथियों को रोकने करोड़ों की योजना

Elephants team reached Maharashtra after 300 years, the forest department is happy that elephants will populate the forest

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  • Publish Date - December 14, 2021 / 03:12 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:30 PM IST

गोंदिया। 22 हाथियों का दल छत्तीसगढ़ से होते हुए गढ़चिरौली से महाराष्ट्र में दाखिल हो चुके हैं। महाराष्ट्र वन विभाग हाथियों के आमद से बेहद खुश हैं और उन्हें रोकने के लिए करोड़ों की योजना भी बनाई है। वन विभाग की माने तो हाथी महाराष्ट्र के जंगलों को आबाद करेंगे।

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बता दें नौ साल पहले 2013 में ओडिशा से आए चंदा हथिनी के दल के हाथी अब महाराष्ट्र के जंगल को आबाद करेंगे। इस दल ने करीब 2 महीने पहले छत्तीसगढ से महाराष्ट्र में प्रवेश किया और उसके बाद गढ़चिरौली जिले के वन विभाग के अफसरों ने 3 सौ साल बाद महाराष्ट्र में पहुंचे करीब 22 हाथियों के दल को वहीं रोकने के लिए 1.40 करोड रु की कार्य योजना बनाई है और जैसी की जानकारी मिली है कि महाराष्ट्र सरकार और अफसर इन हाथियों के आने से उत्साहित हैं।

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महाराष्ट्र सरकार हाथियों को पर्यटन की दृष्टि से देख रही है और किसी भी कीमत पर यहीं रोकने की कार्य योजना बनाई है। हाथियों का यह दल छत्तीसगढ में बेहतर रहवास की तलाश में आया था लेकिन गांव में हाथियों को भगाने फटाखे चलाने और हांका दल द्वारा हांकने के कारण उन्हें संभवत: परेशानी हुई और इसी कारण पहले राम – बलराम नामक हाथी मध्यप्रदेश चले गए। महाराष्ट्र के गढचिरोली में बांस व पर्याप्त चारा भी है। इसी कारण हाथी यहां अपने का सुरक्षित मान रहे हैं।

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छत्तीसगढ के सेवानिवृत्त सीसीएफ के.के बिसेन के अनुसार 22 हाथियों के इस दल में नन्हें हाथी अल्फा, बीटा व गामा भी शामिल है। हथिनी चंदा का नामकरण महासमुंद में हुआ था जो बिसेन के द्वारा सन 2014 में किया गया था उस समय वे सरगुजा में सीसीएफ थे। उनके अनुसार एक साथ आए 12 हाथियों को पहचानने में परेशानी होती थी। इसलिए महासमुंद के सिरपुर स्थित चंदादेवी मंदिर के नाम पर दल की प्रमुख हथिनी का नाम चंदा रखा गया और उसे कॉलर आयडी भी पहनाई गई।

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छत्तीसगढ में अभी 13 हाथियों का दल मौजूद है इनकी संख्या करीब 300 सौ है। इनमें रोहासी दल, सहज दल, अपना दल, गुरुघासीदास दल, बंकी दल, तपकराई दल, अशोक दल, कर्मा दल, गौतनी दल, शांत दल, धरमजयगढ दल, कोरबा दल व खुदंमुरा दल का समावेश है। करीब 2 महीने पहले हाथियों के इस चंदा दल ने बालोद से राजनांदगांव होते महाराष्ट्र में प्रवेश किया। अब इसके दोबारा छत्तीसगढ लौटने की संभावनाएं कम है।