नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान ने शुक्रवार को राज्यसभा को बताया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत पिछले पांच साल में श्रमिकों को प्रति परिवार औसतन 50 दिनों का रोजगार प्रदान किया गया।
इस रोजगार योजना में उन परिवारों को प्रत्येक वित्त वर्ष में 100 दिन तक के रोजगार की गारंटी है जिनके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक श्रम के लिए स्वेच्छा से सहमत होते हैं।
पासवान ने उच्च सदन में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 2024-25 में मनरेगा के तहत प्रति परिवार प्रदान किए गए रोजगार के दिनों का औसत 50.24 था।
मुहैया कराए गए रोजगार के संबंध में पिछले वर्षों के आंकड़े भी लगभग समान थे।
सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023-24 में प्रति परिवार औसत कार्य दिवसों की संख्या 52.07 थी जबकि 2022-23 में 47.84; 2021-22 में 50.07 और 2020-21 में 51.54 थी। पिछले पांच साल में प्रति परिवार औसत रोजगार दिवसों की संख्या कुल मिलाकर 50.35 रही है।
पासवान ने कहा कि जमीनी स्तर पर मनरेगा के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश सरकारों की है।
उन्होंने कहा, “मंत्रालय कानून के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करने और मांग के अनुसार समय पर रोजगार उपलब्ध कराने के लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ नियमित रूप से कार्यान्वयन की समीक्षा करता है। वित्त वर्ष 2025-26 में (आठ दिसंबर 2025 तक) काम की मांग करने वाले 99.81 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को रोजगार की पेशकश की गई है।”
भाषा अविनाश नरेश
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