लड़की का हाथ पकड़कर प्रपोज करना नहीं कहलाता छेड़छाड़, हाई कोर्ट ने आरोपी को दी जमानत

लड़की का हाथ पकड़कर प्रपोज करना नहीं कहलाता छेड़छाड़! Ladki ka hath Pakadkar aisa kam karna chedchad nahi hai

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  • Publish Date - February 28, 2023 / 02:26 PM IST,
    Updated On - February 28, 2023 / 02:26 PM IST

मुंबई: Ladki ka hath Pakadkar aisa kam karna chedchad nahi hai यौन उत्पीड़न के एक मामले में सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने अहम टिप्पणी की और आरोपी की अग्रिम जमानत मंजूर कर दी है। मामले में सुनवाई के दौरान न्यायाधीश न्यायमूर्ति भारती डांगरे ने कहा कि एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति भारती डांगरे ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी धनराज का नाबालिग लड़की की लज्जा भंग करने या उसका यौन उत्पीड़न करने का कोई यौन इरादा नहीं था और इस तरह कोई मामला प्रथम दृष्टया नहीं बनता था।

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Ladki ka hath Pakadkar aisa kam karna chedchad nahi hai यह मामला 1 नवंबर, 2022 का है, जब पीड़िता के पिता ने अपनी 17 साल की बेटी के यौन उत्पीड़न करने के प्रयास के आरोप में पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया था। एफआईआर के मुताबिक, आरोपी धनराज बाबूसिंह राठौड़ ने उनकी 17 वर्षीय बेटी का यौन उत्पीड़न करने का प्रयास किया और यहां तक ​​कि उसका हाथ पकड़कर उसका शील भंग किया।

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पीड़िता के पिता के अनुसार, आरोपी उसके परिवार को जानता था क्योंकि वह उनके आसपास रहता था। वह एक ऑटो रिक्शा चलाता है और पीड़िता कई बार अपने स्कूल और ट्यूशन सेंटर तक जाने के लिए उसी में यात्रा करती थी। आरोपी की तरफ से कोर्ट में बताया गया कि घटना के दिन, आरोपी ने उसे रोका और उसे अपने रिक्शा में यात्रा करने के लिए मनाया था, लेकिन उसने इनकार कर दिया। फिर उसने पीड़िता का हाथ पकड़ा, उससे अपने प्यार का इजहार किया और जोर देकर कहा कि वह उसके ऑटो में बैठ जाए ताकि वह उसे घर छोड़ सके।

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हालांकि, लड़की मौके से भाग गई और पिता को पूरी बात बताई जिसके बाद राठौड़ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। तथ्यों को देखने के बाद न्यायमूर्ति डांगरे ने आरोपी पर लगे छेड़छाड़ के आरोपों को निराधार बताया और उसे अग्रिम जमानत दे दी।

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पीठ ने 10 फरवरी को पारित आदेश में कहा कि “लगाए गए आरोपों से, यह देखा जा सकता है कि प्रथम दृष्टया किसी भी यौन उत्पीड़न का मामला नहीं है क्योंकि आरोपी ने किसी यौन इरादे से उसका हाथ नहीं पकड़ा था। एक पल के लिए मान लें कि उसने ऐसा किया हो पर फिर भी पीड़ित लड़की के बयान से कोई यौन इरादे का पता नहीं चलता है। प्रथम दृष्टया आरोपी गिरफ्तारी से बचने का हकदार है, क्योंकि किसी भी उद्देश्य के लिए उसकी हिरासत की जरूरत नहीं है।” कोर्ट ने अपने आदेश में हालांकि आरोपी को चेतावनी भी दी। कहा कि “साथ ही, उसे चेतावनी दी जाती है कि वह इस तरह की घटना को भविष्य में नहीं दोहराएगा और यदि वह ऐसा करता है, तो उसे दी गई गिरफ्तारी से राहत वाला आदेश वापस ले लिया जाएगा।”

 

 

 

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