कभी सोचा नहीं था कि ‘नैतिकता’ का स्तर इतना नीचे गिर सकता है : न्यायालय |

कभी सोचा नहीं था कि ‘नैतिकता’ का स्तर इतना नीचे गिर सकता है : न्यायालय

कभी सोचा नहीं था कि ‘नैतिकता’ का स्तर इतना नीचे गिर सकता है : न्यायालय

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:38 PM IST, Published Date : March 14, 2022/2:47 pm IST

नयी दिल्ली, 14 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवार के सदस्यों को मिलने वाली 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि पाने के लिए झूठे दावों पर सोमवार चिंता जतायी और कहा कि उसने कभी सोचा भी नहीं था कि इसका ‘‘दुरुपयोग’’ किया जा सकता है और उसे लगता था कि ‘‘नैतिकता’’ का स्तर इतना नीचे नहीं गिर सकता।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह मामले की जांच महालेखाकार कार्यालय को सौंप सकता है।

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्न की पीठ ने कहा, ‘‘हमने कभी उम्मीद नहीं की थी और कभी सोचा नहीं था कि इसका भी दुरुपयोग किया जा सकता है। यह शुचिता का काम है और हमने सोचा था कि हमारी नैतिकता इतनी नीचे नहीं गिरी है कि इसमें कुछ झूठे दावे भी होंगे। हमने यह कभी सोचा नहीं था।’’

पीठ ने मुआवजा देने के लिए दिए जा रहे कोविड-19 से मौत के फर्जी प्रमाणपत्रों पर पिछले सप्ताह चिंता जतायी थी और कहा था कि वह इस मुद्दे की जांच का आदेश दे सकता है। पीठ ने कहा था कि अगर ऐसे फर्जी दावों में अधिकारी शामिल है तो यह ‘‘बहुत गंभीर बात’’ है।

उच्चतम न्यायालय ने पहले सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (एसएलएसए) के सदस्य सचिव के साथ समन्वय करने के लिए एक समर्पित नोडल अधिकारी नियुक्त करें ताकि कोविड​​-19 पीड़ितों के परिवार के सदस्यों को मुआवजे का भुगतान किया जा सके।

सोमवार को सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि दो तरह के सुझाव आए है कि उच्चतम न्यायालय कुछ अंतिम सीमा तय करने पर विचार कर सकता है ताकि जो भी आवेदन करना चाहता है, वह निश्चित समयसीमा में आवेदन कर सकता है।

पीठ ने मेहता से कहा कि सुनवाई की पिछली तारीख पर उसने प्राधिकारियों से इस संबंध में उचित आवेदन देने को कहा था। मेहता ने कहा कि वह मंगलवार को आवेदन देंगे और न्यायालय बुधवार को सुनवाई कर सकती है।

पीठ ने मेहता से कहा कि प्राधिकारी को आवेदन में फर्जी दावों के मुद्दे पर भी कुछ कहने की आवश्यकता है। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘‘इसे शामिल किया जाएगा।’’

इसके बाद उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए 21 मार्च तय कर दी।

उच्चतम न्यायालय गौरव बंसल और अन्य लोगों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में कोविड​​-19 पीड़ितों के परिवार के सदस्यों को अनुग्रह सहायता राशि देने का अनुरोध किया गया है।

भाषा

गोला अनूप

अनूप

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)