New Labour Code 2025: महिलाओं की लगेगी नाइट शिफ्ट...कर्मचारियों को करना होगा 10 घंटे काम / Image Source : FileNew Labour Code 2025: महिलाओं की लगेगी नाइट शिफ्ट...कर्मचारियों को करना होगा 10 घंटे काम / Image Source : File
अमरावती: New Labour Code 2025 प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए एक बार फिर प्रदेश सरकार ने श्रम कानूनों में बदलाव किया है। नए श्रम कानून में सरकार ने कई अहम प्रस्ताव किए गए हैं, जिसे कर्मचारियों के हित में बताया जा रहा है। लेकिन दूसरी ओर नए श्रम कानून की जानकारी सामने आते ही कई कर्मचारी संगठनों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हालांकि ये कानून अभी लागू नहीं किए गए हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि कैबिनेट की बैठक में सरकार ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है।
New Labour Code 2025 आंध्र प्रदेश सरकार के नए श्रम कानून के अनुसार अब कर्मचारियों को 9 की जगह 10 घंटे तक काम करना होगा। वहीं, अब महिला कर्मचारियों को नाइट शिफ्ट भी करना होगा। नाइट शिफ्ट के बदले में महिला कर्मचारियों को वेतन के साथ एक अतिरिक्त छुट्टी दी जाएगी। हालांकि महिलाओं की नाइट शिफ्ट के सरकार ने अंतिम फैसला लेने के लिए प्रबंधन को छूट दी है। कंपनी प्रबंधन की ओर से अपनी सुविधाओं के हिसाब से फैसला लिया जा सकेगा।
इसके साथ ही आंध्र प्रदेश सरकार ने ओवरटाइम (OT) और नाइट शिफ्ट के नियमों में भी बड़े बदलाव किए हैं। ओवरटाइम की सीमा 75 घंटे से बढ़ाकर 144 घंटे कर दी गई है। इसका मतलब यह है कि अब श्रमिकों को अतिरिक्त वेतन 144 घंटे ओवरटाइम के बाद ही मिलेगा। मौजूदा कानूनों में श्रमिकों पर बोझ कम करने के लिए ओवरलैपिंग शेड्यूल (अर्थात दो शिफ्टों के बीच का समय) को सीमित किया गया था, लेकिन नए संशोधन में इस निर्णय को अब फैक्ट्री प्रबंधन के ऊपर छोड़ दिया गया है।
आंध्र प्रदेश के सूचना और जनसंपर्क मंत्री के. पार्थसारथी ने कहा कि सरकार ने ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस नीति के तहत श्रम कानून के कई सेक्शनों में संशोधन करने का फैसला किया हैं उनका कहना है कि नियमों में ढील देने से आंध्र प्रदेश में और अधिक निवेशकों को आकर्षित किया जा सकेगां मंत्री ने यह भी कहा कि इससे प्रदेश में उद्योगों का माहौल बेहतर होगा और आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगीं
वहीं, सरकार के इस फैसले पर ट्रेड यूनियन ने आंदोलन की चेतावनी दी है। माकपा (CPM) के राज्य सचिव वी. श्रीनिवास राव ने इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के दबाव में राज्य सरकार बड़े उद्योगपतियों को खुश करने के लिए नियमों में यह संशोधन कर रही है। उन्होंने कहा, “ये संशोधन केवल श्रमिकों को गुलाम बनाने के लिए हैं। इससे उनके कार्यभार में अत्यधिक वृद्धि होगी।” ट्रेड यूनियनों ने सरकार के इस कदम के खिलाफ बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। यूनियनों का कहना है कि यदि सरकार ने यह फैसला वापस नहीं लिया तो पूरे राज्य में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होंगे।