चार-चार बच्चे पैदा करें हिंदू महिलाएं, दो को राष्ट्र को समर्पित करें’..  राम महोत्सव कार्यक्रम में बोली साध्वी ऋतंभरा

'चार-चार बच्चे पैदा करें हिंदू महिलाएं, दो को राष्ट्र को समर्पित करें', Now Sadhvi Ritambhara's statement can create a ruckus

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  • Publish Date - April 18, 2022 / 04:08 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:09 PM IST

कानपुर : हिंदूवादी नेता साध्वी ऋतंभरा ने देश की सभी हिंदू महिलाओं से चार-चार बच्चे पैदा करने का आह्वान करते हुए कहा है कि इनमें से दो बच्चे राष्ट्र को समर्पित कर दिए जाएं। उन्होंने साथ ही कहा कि भारत जल्द ही ‘हिंदू राष्ट्र’ बन जाएगा। दिल्ली के जहांगीरपुरी में शनिवार को हुई सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में उन्होंने कहा कि हनुमान जयंती शोभा यात्रा पर ‘‘हमला’’ करने वाले देश की तरक्की से जल रहे हैं । उन्होंने कहा, ‘‘ जो राजनीतिक आतंकवाद के जरिए हिंदू समाज को विभाजित करने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हें मिट्टी में मिला दिया जाएगा।’’

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ऋतंभरा ने रविवार को कानपुर के निराला नगर रेलवे प्रांगण में आयोजित राम महोत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा ‘आपने तो दो बच्चे पैदा किये। है ना, हम दो हमारे दो…. मेरा निवेदन है हिंदू समाज के बंधुओं से, दो संतानें नहीं, चार संतानों को जन्म दीजिये। दो संतानें राष्ट्र के लिए समर्पित कीजिए।’ उपस्थित भीड़ द्वारा ‘जय श्री राम’ के उद्घोष के बीच ऋतंभरा ने कहा ‘वे दोनों (संतान) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समर्पित सेवक बनेंगे।’

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उन्होंने कहा ‘श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण हो रहा है और हमें कण-कण को, जन जन को राममय बनाना है।’ बाद में ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में साध्वी ऋतंभरा ने अपने बयान के समर्थन में दलील देते हुए कहा ‘आप अगर भारत के अतीत को देखोगे तो तमाम बच्चे देश के लिए अपने आपको समर्पित करते थे। उनके माता-पिता को भी बहुत परेशानी नहीं होती थी क्योंकि उनकी परंपरा चलाने के लिए और भी संतानें होती थीं, लेकिन अब सज्जनों की स्थिति यह है कि वह सक्षम भी हैं, पढ़ा भी सकते हैं, तो भी वह संतानों को जन्म नहीं देना चाहते हैं। उन्होंने कहा ‘देश को भी कुछ ऐसे लोग चाहिए। आप देखो संघ के कितने लाखों प्रचारक निकले। आज से 30-35 साल पहले, जिनमें से आज देश के प्रधानमंत्री भी हैं, जो देश के लिए अपना तन, मन, एक-एक पल समर्पित किए हुए हैं… तो आने वाले समय में भी इस धरती को बंजर नहीं होना चाहिए। उनकी संतानें इस देश को समझें। ऐसी हमारी देश की परंपरा रही है। मैं उसी को याद दिला रही थी।’