चंडीगढ़, 21 मार्च (भाषा) अमृतसर के जिला मजिस्ट्रेट ने शनिवार को कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह को सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लेने का आदेश जारी किया। पुलिस द्वारा दाखिल हलफनामे में यह कहा गया है। इसमें यह भी बताया गया है कि ‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख कैसे पुलिस को चकमा देकर भागा।
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता इमान सिंह खारा द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के जवाब में हलफनामा दाखिल किया गया। याचिका में पुलिस की कथित हिरासत से अमृतपाल की ‘‘रिहाई’’ की मांग की गई। मंगलवार को याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि अमृतपाल को न तो हिरासत में लिया गया और न ही पुलिस ने गिरफ्तार किया।
पंजाब पुलिस ने शनिवार को अमृतपाल और उसके संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के सदस्यों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई शुरू की थी।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (अमृतसर ग्रामीण) सतिंदर सिंह के हलफनामे के अनुसार सोमवार को खालिस्तान समर्थक के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया था। हलफनामे में कहा गया है कि अमृतपाल राज्य की सुरक्षा और लोक व्यवस्था के लिए प्रतिकूल तरीके से काम कर रहा था। हलफनामे में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने अस्पष्ट, झूठे, भ्रामक और तुच्छ आरोप लगाए हैं।
हलफनामे में कहा गया है कि अमृतसर के जल्लूपुर खेड़ा गांव के रहने वाले अमृतपाल की कट्टरपंथी विचारधारा है और उसने पंजाब को भारत से अलग करने की मांग उठाई है।
हलफनामे में कहा गया, ‘‘वह खालिस्तान के नाम से एक अलग राष्ट्र के लिए राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने/भड़काने/प्रेरित करने/साजिश में सक्रिय रूप से काम कर रहा है। वह राज्य की सुरक्षा और लोक व्यवस्था बनाए रखने की दिशा में प्रतिकूल तरीके से काम कर रहा है।’’
इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि कैसे अमृतपाल और उसके समर्थकों ने 23 फरवरी को अजनाला थाने पर धावा बोल दिया। इसके अलावा यह भी बताया गया कि अब तक उपदेशक और उसके सहयोगियों के खिलाफ छह प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।
पुलिस कार्रवाई पर हलफनामे में कहा गया है कि अमृतपाल और अन्य को गिरफ्तार करने तथा हिरासत में लेने का अभियान 18 मार्च को शुरू किया गया। हलफनामे में कहा गया, ‘‘इस अभियान के दौरान खिलचियां थाना, जिला अमृतसर (ग्रामीण) की पुलिस टीम द्वारा एक नाका स्थापित किया गया था। अमृतपाल सिंह और उसके साथी मर्सिडीज कार के साथ तीन और गाड़ियों के काफिले के साथ सफर कर रहे थे।’’
हलफनामे में कहा गया, ‘‘उन्हें पुलिस दल द्वारा नाका पर रुकने का निर्देश दिया गया, लेकिन उनके वाहन रुकने के बजाय नाका से भाग निकले। उसके बाद उसके वाहनों का पता लगाने के लिए आसपास के सभी थानों और जिलों को अलर्ट कर दिया गया।’’
हलफनामे में कहा गया कि अमृतपाल और उसके साथियों को भागते समय एक सरकारी स्कूल, गांव सलेमा, जालंधर के महतपुर के पास चॉकलेट रंग की इसुजु पिकअप कार को तेज और लापरवाही से चलाते हुए देखा गया।
इसमें कहा गया कि अमृतपाल के पास एक .315 राइफल थी और वह लोगों में डर पैदा करने के उद्देश्य से उसे लहरा रहा था। वह और अन्य लोग कार छोड़कर मौके से फरार हो गए।
हलफनामे में कहा गया कि अमृतपाल को हिरासत में लेने का एक प्रस्ताव तैयार किया गया और 17 मार्च को अमृतसर के जिला मजिस्ट्रेट को भेजा गया, जिन्होंने इस पर विचार किया और 18 मार्च को कट्टरपंथी उपदेशक को हिरासत में लेने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, 1980 की धारा 3 (2) के तहत हिरासत आदेश जारी किया।
हलफनामे में कहा गया कि छापे मारने के बावजूद अमृतपाल को अब तक हिरासत में नहीं लिया जा सका है और वह फरार है तथा छिपा हुआ है।
न्यायिक मजिस्ट्रेट बाबा बकाला, अमृतसर ने 20 मार्च को अमृतपाल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया। पुलिस ने याचिकाकर्ता के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि अमृतपाल को जालंधर के शाहकोट इलाके में हिरासत में लिया गया था।
भाषा आशीष दिलीप
दिलीप