संसदीय प्रणाली, संवैधानिक संस्थाओं का आदर करना सीखें राहुल : प्रकाश जावड़ेकर

संसदीय प्रणाली, संवैधानिक संस्थाओं का आदर करना सीखें राहुल : प्रकाश जावड़ेकर

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  • Publish Date - December 17, 2020 / 09:15 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:04 PM IST

नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) भाजपा ने रक्षा संबंधी संसद की स्थायी समिति की बैठक से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा बहिर्गमन किए जाने पर बृहस्पतिवार को उन्हें आड़े हाथों लिया तथा उन्हें संसदीय प्रणाली और संवैधानिक संस्थाओं का आदर करने की नसीहत दी।

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पार्टी ने उनके इस रुख की निंदा करते हुए कहा कि कांग्रेस नेता यदि ऐसा नहीं करते हैं तो लोकतंत्र में उनकी भूमिका और नगण्य होती जाएगी।

अपने आवास पर पत्रकारों से चर्चा में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ‘‘संवैधानिक संस्थाओं के प्रति उनकी कितनी आस्था है, वह कल दिखा। रक्षा समिति की बैठक से वह बाहर चले गए। यह संसदीय प्रणाली और संवैधानिक संस्थाओं का अपमान है। राहुल गांधी को संवैधानिक संस्थाओं का आदर करना सीखना चाहिए नहीं तो लोकतंत्र में उनकी भूमिका और नगण्य होती जाएगी।’’

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ज्ञात हो कि राहुल गांधी और कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने समिति की बैठक से बुधवार को यह आरोप लगाते हुए बहिर्गमन किया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण मुद्दे की बजाय सशस्त्र बलों की वर्दी पर चर्चा में समय बर्बाद किया जा रहा है।

सूत्रों के मुातबिक राहुल गांधी समिति के समक्ष लद्दाख में चीन की आक्रामकता और सैनिकों को बेहतर उपकरण उपलब्ध कराने से जुड़े मुद्दे उठाना चाहते थे, लेकिन समिति के अध्यक्ष जुएल उरांव (भाजपा) ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी।

जावड़ेकर ने आरोप लगाया कि समिति की बैठक का एजेंडा तय करने के लिए पहले बैठक होती है लेकिन राहुल गांधी उसमें नदारद थे।

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उन्होंने कहा, ‘‘राहुल गांधी पहले अनुपस्थित रहेंगे, अपना जो एजेंडा चाहते हैं वो बताएंगे नहीं और फिर अचानक आकर कहेंगे कि महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा नहीं हो रही है।’’

जावड़ेकर ने कहा कि पिछले डेढ़ साल में समिति की 14 बैठकें हुई है और राहुल गांधी सिर्फ दो में ही उपस्थित थे।

उन्होंने कहा, ‘‘14 में से 12 बैठकों में वे अनुपस्थित रहेंगे और दोष देंगे सारी व्यवस्था को। भाजपा पर आरोप लगाएंगे। जब संप्रग सत्ता में था तब उन्होंने मनमोहन सरकार की कैबिनेट में लिए गए फैसले की प्रति पत्रकार वार्ता में फाड़ी थी और उसे कचरे की टोकरी में डाल दिया था। यह संवैधानिक संस्थाओं के प्रति उनकी आस्था को दर्शाता है।’’

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