Rana couple got bail after 11 days, but these 5 conditions have to be accepted
Rana couple got bail: मुंबई। हनुमान चालीसा विवाद को लेकर 23 अप्रैल से जेल में बंद सांसद नवनीत राणा और उनके पति विधायक रवि राणा को कोर्ट से राहत मिली है। राणा दंपत्ति को 11 दिन बाद सेशंस कोर्ट से जमानत मिल गई है, लेकिन जमानत देते हुए कोर्ट ने राणा दंपति को कुछ शर्तों का पालन करने के निर्देश दिए है। कोर्ट ने कहा है कि अगर राणा दंपति की तरफ से शर्तों का उल्लंघन हुआ तो उन्हें दोबारा जेल जाना पड़ सकता है। कोर्ट की तरफ से शर्तों में कहा गया है कि राणा दंपति ऐसा कोई भी अपराध दोबारा नहीं करेंगे। इसके साथ ही उन्हें कोर्ट में 50 हजार रुपये का निजी मुचलका भी जमा कराना होगा।
नवनीत राणा के वकील रिजवान मर्चेंट ने बताया कि कोर्ट के तरफ से दिए गए निर्देश के अनुसार पुलिस राणा दंपति को 24 घंटे पहले नोटिस देगी। इसके बाद उन्हें पुलिस स्टेशन में हाजरी लगाने जाना पड़ेगा। उन्हें पूछताछ और जांच के दौरान सहयोग करना होगा। अटेंडेंस के लिए आने के लिए पुलिस राणा दंपत्ति को मोबाइल पर मैसेज भी कर सकती है। साथ ही उन्हें मीडिया से बात नहीं करनी है। वहीं सरकारी वकील प्रदीप घरात ने बताया कि कोर्ट ने राणा दंपति को जमानत तो दी है, लेकिन उन्हें सख्त निर्देश भी दिए गए है।
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सांसद नवनीत राणा द्वारा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बांद्रा स्थित निजी आवास ‘मातोश्री’ के बाहर सार्वजानिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करने की घोषणा की थी। इसके बाद विवाद बढ़ गया और पुलिस ने 23 अप्रैल को राणा दंपति को गिरफ्तार कर लिया था। शनिवार को इस मामले में दोनों पक्ष के वकीलों ने जमानत अर्जी पर अपनी दलीलें पूरी की थी, लेकिन कोर्ट के अन्य मामलों में व्यस्त होने के कारण राणा दंपत्ति के जमानत आदेश से संबंधित श्रुतलेख पूरा नहीं हो पाया था।
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पुलिस ने राणा दंपति के खिलाफ राजद्रोह और दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप में एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद राणा दंपति ने जमानत के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में उन्होंने कहा था कि ‘मातोश्री’ के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने के आह्वान को विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी या घृणा की भावना को बढ़ावा देने के उद्देश्य वाला नहीं कहा जा सकता। उन्होंने याचिका में यह भी कहा कि आईपीसी की धारा 153 (ए) के तहत इस आरोप को कायम नहीं रखा जा सकता। राणा दंपति की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि मुख्यमंत्री के निजी आवास के पास हनुमान चालीसा का पाठ करके लोगों को भड़काने या नफरत फैलाने का उनका कोई इरादा नहीं था।
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