सुरक्षा में सेंध का मामला: अदालत ने आरोपियों से पूछा, संसद और 13 दिसंबर का चयन क्यों किया

सुरक्षा में सेंध का मामला: अदालत ने आरोपियों से पूछा, संसद और 13 दिसंबर का चयन क्यों किया

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  • Publish Date - May 20, 2025 / 09:39 PM IST,
    Updated On - May 20, 2025 / 09:39 PM IST

नयी दिल्ली, 20 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने वर्ष 2023 में संसद की सुरक्षा में सेंध के मामले में गिरफ्तार लोगों से मंगलवार को विरोध प्रदर्शन के लिए एक विशिष्ट तिथि और स्थान के चयन का कारण पूछा, जबकि उन्हें राजधानी में विरोध प्रदर्शनों के लिए निर्धारित स्थानों के बारे में पता था।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की पीठ ने मामले में गिरफ्तार आरोपी नीलम आजाद और महेश कुमावत की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह सवाल किया।

वर्ष 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमले की बरसी के दिन 2023 में सुरक्षा में सेंध के एक बड़े मामले में आरोपी सागर शर्मा और मनोरंजन डी कथित तौर पर शून्यकाल के दौरान दर्शक दीर्घा से लोकसभा कक्ष में कूद गए और कनस्तरों से पीली गैस छोड़ी तथा नारे लगाए, लेकिन कुछ सांसदों ने उन्हें पकड़ लिया।

लगभग उसी समय, दो अन्य आरोपियों – अमोल शिंदे और आजाद ने संसद परिसर के बाहर ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ के नारे लगाते हुए कनस्तरों से रंगीन गैस छोड़ी।

अदालत ने मंगलवार को याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, लेकिन आरोपियों से पूछा, ‘‘आपने अपने विरोध के लिए उस तारीख (13 दिसंबर जो 2001 में संसद पर हमले की तारीख भी है) का चयन क्यों किया? जब आप जानते हैं कि यह संसद है, तो आपने इस स्थान का चयन क्यों किया? जब विरोध करने के लिए निर्धारित स्थान हैं, तो आपने उस दिन और स्थान का चयन क्यों किया और फिर संसद तथा उसके आसपास अपना विरोध प्रदर्शन करने का फैसला क्यों किया? क्या यह देश को भयभीत करने जैसा नहीं होगा?’’

वकील ने कहा कि इस कृत्य के पीछे असली मंशा मुकदमे के दौरान पता चलेगी। उन्होंने दलील दी कि कथित कृत्य गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 15 के तहत नहीं आता है, जो आतंकवादी गतिविधियों को परिभाषित करता है।

उच्च न्यायालय ने अभियोजन पक्ष से यह बताने को कहा कि गिरफ्तारी के समय आरोपी को गिरफ्तारी के आधार बताए गए थे या नहीं। अदालत को बताया गया कि अधीनस्थ अदालत ने आरोप तय करने के लिए दलीलें सुनने के लिए मामले की अगली सुनवाई पांच जून तय की है।

अदालत ने कुछ स्थितियों का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि आरोपी दिल्ली के चिड़ियाघर या जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन के लिए गए होते, यहां तक ​​कि धुएं के कनस्तरों के साथ भी, तो यह कोई मुद्दा नहीं होता, लेकिन संसद का विशेष रूप से चयन करने से सवाल उठते हैं।

भाषा संतोष नेत्रपाल

नेत्रपाल