Shivraj Singh Chouhan Meeting: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की ICAR के उप महानिदेशकों के साथ अहम बैठक.. किसानों को समृद्धि के लिए तय किये ये अहम् बिंदु

बैठक में आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट, सभी उप महानिदेशक, सहायक महानिदेशक तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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  • Publish Date - May 1, 2025 / 06:45 AM IST,
    Updated On - May 1, 2025 / 06:50 AM IST

Shivraj Singh Chouhan Meeting with ICAR Deputy DG || Image- IBC24 News File

HIGHLIGHTS
  • शिवराज सिंह चौहान ने कृषि अनुसंधान और नवाचार को किसानों तक शीघ्र पहुंचाने पर जोर दिया।
  • बीज गुणवत्ता, मृदा स्वास्थ्य और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की रणनीति पर चर्चा हुई।
  • KVKs को बहुउद्देशीय बनाकर तकनीकी जानकारी सीधे किसानों तक पहुंचाने के निर्देश दिए गए।

Shivraj Singh Chouhan Meeting with ICAR Deputy DG: नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के उप महानिदेशकों के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक नई दिल्ली स्थित एनएएससी कॉम्प्लेक्स के बोर्ड रूम में आयोजित की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य कृषि अनुसंधान को सशक्त बनाना, नवाचार को बढ़ावा देना तथा किसानों तक तकनीकी लाभों को शीघ्र पहुँचाना था।

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बैठक की शुरुआत करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, “जब अंतिम पंक्ति का किसान समृद्ध होगा, तभी सही मायनों में विकसित भारत का सपना साकार होगा।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से संचालित करने पर बल दिया।

इन बिंदुओं पर हुई चर्चा

बेहतर बीज और उत्पादन

मंत्री चौहान ने अच्छी किस्म के बीजों के विकास और उन्हें किसानों तक शीघ्र पहुंचाने पर बल दिया। उन्होंने विशेष रूप से दलहन, तिलहन, मोटे अनाज, कपास, गेहूं और चावल की उपज बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि बीज विकास में प्राथमिकता और समर्पण आवश्यक है।

सोयाबीन पर विशेष ध्यान

खरीफ फसल की बुआई के दौरान सोयाबीन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने किसानों को प्रेरित करने और जन-जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए। साथ ही, राज्य सरकारों के साथ समन्वय स्थापित करने पर भी बल दिया।

मृदा स्वास्थ्य और उर्वरकों का सही उपयोग

केंद्रीय मंत्री ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड के प्रभावी उपयोग की बात कही और सुझाव दिया कि मृदा परीक्षण किसानों के खेतों पर ही किया जाए। इससे उन्हें अपनी जमीन की गुणवत्ता के अनुसार खेती करने में सहायता मिलेगी।

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा

मंत्री चौहान  ने प्रधानमंत्री मोदी की संकल्पना के अनुरूप प्राकृतिक खेती को लोकप्रिय बनाने पर बल दिया। इसके लिए उन्होंने राज्य सरकारों के साथ समन्वय से प्रमाणन व्यवस्था बनाने और विशेष बीज किस्में विकसित करने की बात कही।

फार्म से बाजार तक व्यवस्था

गांव स्तर पर खेत से बाजार तक की सप्लाई चेन को व्यवस्थित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कृषि समितियों की भूमिका को अहम बताया।

मॉडल फार्म और बहुस्तरीय प्रशिक्षण

छोटे किसानों के लिए मॉडल फार्म विकसित करने, उन्हें पशुपालन, मत्स्य पालन और मधुमक्खी पालन जैसे अतिरिक्त स्रोतों से जोड़ने, जलवायु अनुकूल खेती के तरीकों को अपनाने और कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों की रूपरेखा पर चर्चा की गई।

केवीके की भूमिका

चौहान ने कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) को किसानों तक तकनीकी जानकारी और सेवाएं पहुंचाने का सबसे प्रभावी माध्यम बताया। उन्होंने सभी KVK को बहुउद्देशीय बनाने, एक ब्लॉक को प्राकृतिक खेती के लिए समर्पित करने और इम्पैक्ट असेसमेंट लागू करने के निर्देश दिए।

आईसीएआर को निर्देश

Shivraj Singh Chouhan Meeting with ICAR Deputy DG: केंद्रीय मंत्री ने निर्देश दिया कि आईसीएआर की तकनीकों और नवाचारों का लाभ छोटे और सीमांत किसानों तक शीघ्र पहुंचे। उन्होंने यह भी कहा कि कीटनाशकों के उपयोग पर अधिक अनुसंधान किया जाए और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से उनका प्रबंधन सुनिश्चित किया जाए।

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बैठक में आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट, सभी उप महानिदेशक, सहायक महानिदेशक तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

1. इस बैठक का मुख्य उद्देश्य क्या था?

इस बैठक का मुख्य उद्देश्य कृषि अनुसंधान को सशक्त बनाना, नवाचार को बढ़ावा देना और किसानों तक वैज्ञानिक तकनीकों को शीघ्र पहुँचाना था।

2. बैठक में किन कृषि विषयों पर विशेष चर्चा हुई?

अच्छी किस्म के बीजों का विकास, मृदा स्वास्थ्य कार्ड का उपयोग, सोयाबीन और मोटे अनाज की उत्पादकता, प्राकृतिक खेती, और फार्म से बाजार तक की सप्लाई चेन पर चर्चा की गई।

3. किसानों को इस बैठक से क्या लाभ होगा?

किसानों को उन्नत बीज, मृदा परीक्षण सुविधा, प्राकृतिक खेती के प्रशिक्षण, KVKs से तकनीकी सहायता, और वैज्ञानिक पद्धतियों के माध्यम से खेती की गुणवत्ता सुधारने में मदद मिलेगी।