तेल शोधन अपशिष्ट का वैज्ञानिक निस्तारण सुनिश्चित करें राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड: एनजीटी

तेल शोधन अपशिष्ट का वैज्ञानिक निस्तारण सुनिश्चित करें राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड: एनजीटी

  •  
  • Publish Date - September 15, 2020 / 11:50 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:37 PM IST

नयी दिल्ली, 15 सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मंगलवार को राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डो को निर्देश दिया कि तेल शोधन कारखानों से निकले हानिकारक अपशिष्ट का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण सुनिश्चित किया जाए।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ऑक्साइड उत्प्रेरकों की श्रेणी वाले हानिकारक अपशिष्ट की मात्रा और उसके निस्तारण का तरीका स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं है।

अधिकरण द्वारा गठित छह सदस्यीय एक समिति ने पीठ को बताया कि आईओसीएल पानीपत, हरियाणा आईओसीएल मथुरा रिफाइनरी, उत्तर प्रदेश, आईओसीएल बरौनी, बिहार और रिलायंस जामनगर गुजरात, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा स्वीकृत मात्रा से अधिक मात्रा में ‘स्पेंट’ उत्प्ररेक रसायनों का उत्सर्जन कर रहे हैं और यह हानिकारक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 का उल्लंघन है।

समिति ने जांच के दौरान पाया कि आईओसीएल पानीपत, एचपीसीएल भटिंडा और आईओसीएल डिगबोई हानिकारक और अन्य प्रकार के अपशिष्टों की पैकेजिंग तथा लेबलिंग नहीं कर रहे हैं।

समिति ने सुझाव दिया कि हानिकारक अपशिष्ट उत्सर्जित करने वाले सभी तेल शोधन कारखानों को हानिकारक अपशिष्टों का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करना सुनिश्चित करना होगा।

अधिकरण ने कहा कि पीठ की राय में समिति के सुझावों पर अमल करना चाहिए।

पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया कि सभी संबंधित तेल शोधन कारखानों से सूचना एकत्र करने के बाद रिपोर्ट सौंपी जाए।

अधिकरण, नाथन चौधरी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें कहा गया था कि पानीपत और डिगबोई तेल शोधन कारखानों से निकलने वाले हानिकारक अपशिष्ट का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण नहीं किया जा रहा है।

भाषा यश नरेश

नरेश