जब देवेगौड़ा और शरीफ के बीच बात हुई लेकिन मुलाकात न हो सकी: पुस्तक |

जब देवेगौड़ा और शरीफ के बीच बात हुई लेकिन मुलाकात न हो सकी: पुस्तक

जब देवेगौड़ा और शरीफ के बीच बात हुई लेकिन मुलाकात न हो सकी: पुस्तक

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:28 PM IST, Published Date : June 6, 2022/5:41 pm IST

नयी दिल्ली, छह जून (भाषा) पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा ने अपने कार्यकाल में भारत-पाकिस्तान विवाद का “हमेशा, हमेशा के लिए समाधान” करने की इच्छा जताते हुए अपने तत्कालीन पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ से फोन पर बात की थी लेकिन दोनों नेताओं की मुलाकात से पहले ही देवेगौड़ा की सरकार गिर गई।

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री की हाल में प्रकाशित जीवनी में इसका उल्लेख किया गया है। लेखिका और पत्रकार सुगत श्रीनिवासराजू ने अपनी पुस्तक “फरोज इन ए फील्ड: द अनेक्सप्लोर्ड लाइफ ऑफ एच डी देवेगौड़ा” में दिवंगत डॉक्टर के साक्षात्कार के हवाले से लिखा है कि देवेगौड़ा ने अपने डॉक्टर और प्रख्यात ईएनटी सर्जन एल. एच. हीरानंदानी को शरीफ और अपने बीच एक गोपनीय माध्यम बनाया था।

पद्म भूषण से सम्मानित हीरानंदानी ने देवेगौड़ा का उस समय इलाज किया था जब 1980 के दशक के मध्य में उनके गले में समस्या हो गई थी। डॉक्टर ने साक्षात्कार में अपनी गुप्त भूमिका का खुलासा किया और बताया कि दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच एक “बैठक लगभग तय” थी जो देवेगौड़ा की 11 महीने की सरकार के 1997 में गिरने के बाद नहीं हो सकी थी।

पुस्तक में एक अन्य पुस्तक को उद्धृत किया गया है जिसमें हीरानंदानी का साक्षात्कार छपा था। इसके अनुसार, हीरानंदानी ने कहा, “जब वह (देवेगौड़ा) प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने मुझे फोन किया और कहा कि वह मुझसे मिलना चाहते हैं। वह मेरे नियमित मरीज थे। मैंने उनसे पूछा कि वह बॉम्बे कब आने वाले हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ काम है और बेहतर होगा कि वे दिल्ली आकर उनसे मिलें।”

देवेगौड़ा को पता था कि हीरानंदानी ने मोहम्मद अली जिन्ना, शेख अब्दुल्ला और राजनीति तथा फिल्म जगत की कई हस्तियों का उपचार किया है और शरीफ के पिता तथा हीरानंदानी दोस्त थे इसलिए उन्हें जिम्मेदारी देने से भारत-पाकिस्तान संबंधों में वांछित नतीजे मिलने की उम्मीद है।

पुस्तक में डॉक्टर ने कहा, “मैं दिल्ली गया और उनसे मिला। उन्होंने कहा कि वह भारत-पाकिस्तान विवाद हमेशा के लिए सुलझाना चाहते हैं। मैंने उनसे पूछा कि मैं क्या भूमिका अदा कर सकता हूं। उन्होंने कहा कि मुझे पाकिस्तान में सम्मान की नजर से देखा जाता है और उन्होंने ब्लिट्ज में प्रकाशित ‘बाबूज ऑफ पाकिस्तान’ समेत मेरे छह लेख पढ़े हैं और वह मेरी मदद चाहते हैं।”

हीरानंदानी सिंध प्रांत के थट्टा के रहने वाले थे जो अब पाकिस्तान में है। उनका 2013 में 96 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। इस्लामाबाद में शरीफ के साथ बैठक होने वाली थी लेकिन पाकिस्तानी फौज के डर के चलते इसे रद्द कर दिया गया था।

इसके बाद हीरानंदानी को प्रधानमंत्री के विशेष दूत के तौर पर लंदन पहुंचने को कहा गया। उन्होंने तत्काल यह संदेश भिजवाया कि उन्हें एक दूत के तौर पर जिम्मेदारी की गई है और वह दोनों प्रधानमंत्रियों की फोन पर बातचीत सुनिश्चित करना चाहते हैं।

पुस्तक के अनुसार, देवेगौड़ा और शरीफ के बीच फोन पर अच्छी बातचीत हुई। पुस्तक में कहा गया, “दोनों के बीच एक सहमति बनी और आपसी विश्वास कायम करने के तरीकों पर चर्चा हुई। पाकिस्तान की जरूरतों को पूरा करने और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए लगभग 30 हजार टन चीनी निर्यात की गई।”

पुस्तक में कहा गया कि दोनों नेता तत्काल एक दूसरे के विदेश सचिवों की बैठक के लिए तैयार हो गए। बैठक का स्थान, तारीख और समय तय हो गया लेकिन दुर्भाग्य से कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया और यह योजना मूर्तरूप लेने से रह गई।

भाषा यश नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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