(The Family Man 3 Review, Image Credit: manoj bajpayee instagram)
The Family Man 3 Review: दो सफल सीजन के बाद, मनोज बाजपेयी फिर से ‘द फैमिली मैन 3‘ के जरिए दर्शकों के सामने लौट आए हैं। पहले दो सीजन की सफलता के चलते फैंस को इस नए सीजन का बेसब्री से इंतजार था। इस बार भी मनोज श्रीकांत तिवारी की भूमिका में हैं, जो थ्रेट एनालिसिस एंड सर्विलांस सेल (टास्क) में इंटेलिजेंस ऑफिसर हैं। सीजन 3 में उनका नया मिशन और पुराने मामलों से जुड़े हुए ट्विस्ट कहानी को और रोमांचक बनाते हैं।
‘द फैमिली मैन 3‘ की कहानी नागालैंड के कोहिमा में एक पारंपरिक समारोह, नेता डेविड खूजो और धमाकों की श्रृंखला के साथ शुरू होती है। यह पूरे देश, खासकर नॉर्थ-ईस्ट में तनाव का माहौल पैदा करता है। श्रीकांत तिवारी अपनी पत्नी सुची और बच्चों धृति और अथर्व के साथ नए घर में पूजा-पाठ में व्यस्त हैं, लेकिन उनकी पेशेवर जिम्मेदारियां लगातार परेशान करती हैं।
श्रीकांत का सामना रुक्मा (जयदीप अहलावत) से होता है, जो नॉर्थ-ईस्ट का बड़ा ड्रग डीलर है और प्रोफेशनल व पर्सनल दोनों मोर्चों पर चुनौती बनता है। डेविड खूजो से समझौते के लिए जाते समय श्रीकांत पर हमला होता है, जिसमें उनके सहयोगी और नेता मारे जाते हैं और श्रीकांत घायल हो जाते हैं। कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब श्रीकांत खुद संदिग्ध बन जाते हैं और थ्रेट एनालिसिस एंड सर्विलांस सेल उन्हें पकड़ने के लिए पीछे पड़ जाती है।
राज और डीके का निर्देशन इस सीजन की सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने कास्टिंग में कलाकारों की उम्र, भाषा और वास्तविक बैकग्राउंड का पूरा ध्यान रखा है। नॉर्थ-ईस्ट के किरदारों के लिए स्थानीय कलाकारों का चयन कहानी को यथार्थवादी बनाता है। स्क्रिप्ट में ग्लैमर या ड्रामे का कम उपयोग किया गया है और हर एपिसोड तनाव और कहानी के फ्लो के साथ संतुलित है।
मनोज बाजपेयी श्रीकांत तिवारी के किरदार में फिर से प्रभावशाली नजर आते हैं। उनके चेहरे और संवादों में चिंता और देशभक्ति दोनों झलकती है। प्रियामणि (सुची) का प्रदर्शन भी मजबूत है, और बच्चों वेदांत सिन्हा (अथर्व) और महक ठाकुर (धृति) ने भी अपने किरदारों को जीवंत किया है। शारिब हाशमी (जेके) की कॉमिक टाइमिंग कई तनावपूर्ण दृश्यों में हल्का माहौल बनाती है।
रुक्मा के किरदार में जयदीप अहलावत का अभिनय बेहद प्रभावशाली है। उनका शातिर और चुनौतीपूर्ण अंदाज कहानी में गंभीरता और तनाव बढ़ाता है। गुल पनाग (सलोनी) भी नॉर्थ-ईस्ट में एजेंट के किरदार में स्मार्ट और सटीक नजर आती हैं। इन किरदारों की मौजूदगी कहानी को यथार्थवादी और भरोसेमंद बनाती है।
सीजन की सबसे बड़ी ताकत इसका यथार्थवाद है। नॉर्थ-ईस्ट के लोकेशन, वहां की जीवनशैली और कलाकारों का चयन कहानी को प्रामाणिक बनाता है। एक्शन सीन्स भी वास्तविक और टीम वर्क पर आधारित हैं, जहां किसी एक व्यक्ति की बजाय सभी किरदारों की भूमिका महत्व रखती है।
हालांकि, शुरुआत के दो एपिसोड धीमे और कुछ हिस्सों में बोझिल लगते हैं। कुछ इमोशनल सीन पूरी तरह से दर्शकों को प्रभावित नहीं करते। रुक्मा और बॉबी के रिश्ते को और गहराई से दिखाया जा सकता था। स्क्रिप्ट कभी-कभी भारी विषय के बावजूद लड़खड़ाती नजर आती है।
‘द फैमिली मैन 3‘ केवल मनोरंजन नहीं बल्कि यथार्थवादी थ्रिलर का अनुभव देती है। हीरोइज्म के ढिंढोरा नहीं पीटा गया है और फिजिक्स के नियमों का सम्मान करते हुए एक्शन सीन्स बनाए गए हैं। अगर आप श्रीकांत तिवारी के फैन हैं, तो यह सीजन आपके लिए जरूर देखने लायक है, खासकर मनोज बाजपेयी और जयदीप अहलावत के दमदार अभिनय के कारण दर्शकों को जोड़े रखती है।