Operation Sindoor, image source: ibc24
नईदिल्ली: Operation Sindoor, ऑपरेशन सिंदूर से भारत को एक बड़ी सीख मिली है, और वह सीख यह है कि भारत अब जान गया है कि पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ने का मतलब सिर्फ एक देश से ही नहीं है, बल्कि एक साथ तीन देशों के साथ मोर्चा लेना है। आपको बता दें कि भारत के खिलाफ सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं बल्कि तुर्की और चीन भी जंग लड़ रहे थे। ये दोनों देश न सिर्फ हथियारों की सप्लाई करके, बल्कि उससे भी कहीं ज्यादा पाकिस्तान की मदद कर रहे थे। आइए जानते हैं कैसे?
दरअसल, चीन और तुर्की भी भारत के खिलाफ इन्फॉर्मेशन वॉर फैलाने में पाकिस्तान के साथ लगे हुए थे। और ये देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को बचाने का प्रयास कर रहे थे। चीन के समाचार ऑउटलेट्स, जैसे ग्लोबल टाइम्स, शिन्हुआ न्यूज एजेंसी और तुर्की के टीआरटी वर्ल्ड खुलकर पाकिस्तान के पक्ष में प्रोपेगेंडा फैला रहे थे। न्यूज एजेंसी शिन्हुआ और ग्लोबल टाइम्स को तो वैसे भी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का भोंपू कहा जाता है, इसलिए उनकी प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता तो न के बराबर है, लेकिन तुर्की के टीआरटी वर्ल्ड खुलकर पाकिस्तान का मुखपत्र बनकर प्रोपेगेंडा फैला रहा था।
तुर्की और चीन इन दोनों देशों की मीडिया में पाकिस्तान की भाषा बोली जा रही थी। बिना सत्यापन के ब्रेकिंग न्यूज और उसके आधार पर ही खबरों की एनालिसिस की जा रही थी। पाकिस्तानी सेना के हवाले से खबरें चलाई जा रही थीं, जिसमें बताया जा रहा था कि पाकिस्तानी सेना के द्वारा भारत का भारी भरकम नुकसान दिखाया जा रहा था।
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किसी देश के खिलाफ युद्ध में इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर की अलग कहानी होती है। यहां से नैरेटिव बनाया जाता है। जैसा कि सभी को मालुम है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ युद्ध लड़ रहा था, लेकिन ये देश उसे पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध बता रहे थे। ये दोनों देश संगठित होकर नकली वीडियो, फेक न्यूज और प्रोपेगेंडा फैला रहे थे। चीनी मीडिया में पुराने युद्ध के वीडियो एडिट करके लगाए जा रहे थे। फर्जी न्यूज चैनल्स के क्लिप और AI वीडियो बनाकर दिखाए जा रहे थे।
पाकिस्तानी सैनिकों के बेतूके दावों को तुर्की और चीन में लगातार दिखाया जा रहा था, भले ही दावों की कोई पुष्टि ना हुई हो। तुर्की ने पाकिस्तान को अपने झूठे दावों को अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों तक पहुंचाने का मंच दे दिया था। जैसे ग्लोबल टाइम्स, सीएनएन और तुर्की की मीडिया ने ऑपरेशन सिंदूर के शुरू होने के साथ ही भारतीय लड़ाकू विमानों के गिरने की खबरें चलानी शुरू कर दी। जबकि उसकी कोई पुष्टि नहीं हुई थी।
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सीएनएन पर चलने वाली खबरों को देखकर ऐसा लग रहा था कि वो पाकिस्तान का न्यूज चैनल हो। चीन में भारतीय दूतावास ने तो ग्लोबल टाइम्स को फर्जी खबरें चलाने के लिए फटकार तक लगाई। चीन और तुर्की में चलाया जा रहा था कि “पाकिस्तान के JF-17 थंडर की हाइपरसोनिक मिसाइलों ने आदमपुर में भारत के S-400 सिस्टम को नष्ट कर दिया है। भारतीय सेना ने जब इन दावों का खंडन किया, तो फिर भी खबरों को अपडेट तक नहीं किया गया।
इन देशों की मीडिया में भारतीय सेना के बयान भी नहीं दिखाए जा रहे थे। ऐसा इसलिए क्योंकि क्योंकि जेएफ-17 चीनी फाइटर जेट है और सरकारी चीनी मीडिया में इस तरह के निराधार दावों से सीधे तौर पर सरकारी चीनी एयरोस्पेस कंपनियों को फायदा होता है। इसके अलावा तुर्की की मीडिया में भारत को मुस्लिम विरोधी देश दिखाने की कोशिश की गई।
जाहिर है कि जब तीन दुश्मन देश मिलकर आपकी सच्चाई को झूठ और दुश्मन के झूठ को हथियार की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर दें, तब जंग सिर्फ टैंक या मिसाइल से नहीं, बल्कि सच्चाई की ताकत से जीतना होता है। भारत को अब “डिजिटल महायुद्ध” के लिए सच्चाई, टेक्नोलॉजी और रणनीति, तीनों मोर्चों पर तैयार रहना होगा। क्योंकि ये लड़ाई अब सिर्फ सीमा तक ही सीमित नहीं रह गई है।