UP teacher recruitment: यूपी में 69,000 शिक्षकों की भर्ती में बड़ा घोटाला, आरक्षित सीटों में SC-ST/OBC वर्ग के लोगों को नौकरी नहीं देने के आरोप

UP teacher recruitment: एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि 'इस भर्ती में 18,500 आरक्षित सीटों में SC-ST/OBC वर्ग के लोगों को नौकरी मिलनी थी, लेकिन इसमें से केवल 2,637 सीटों पर ही आरक्षण लागू किया गया।

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  • Publish Date - February 25, 2025 / 06:35 PM IST,
    Updated On - February 25, 2025 / 06:36 PM IST

UP teacher recruitment scam, image source: up congress X

HIGHLIGHTS
  • यूपी में 69,000 शिक्षकों की भर्ती का एक नया घोटाला होने की बात
  • केवल 2,637 सीटों पर ही आरक्षण लागू किया गया
  • भर्ती घोटाले में उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग

लखनऊ: UP teacher recruitment, उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट कर यूपी में 69,000 शिक्षकों की भर्ती का एक नया घोटाला होने की बात कही है। साथ ही इस फैसले को संविधान में दिए गए आरक्षण पर हमला बताया है और सामाजिक न्याय के खिलाफ बताया है।

कांग्रेस ने कहा ​है कि ‘ यूपी में 69,000 शिक्षकों की भर्ती का एक नया घोटाला सामने आया है। एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘इस भर्ती में 18,500 आरक्षित सीटों में SC-ST/OBC वर्ग के लोगों को नौकरी मिलनी थी, लेकिन इसमें से केवल 2,637 सीटों पर ही आरक्षण लागू किया गया। इन आरक्षित सीटों में बाकी 15,863 सीटों पर अनारक्षित वर्ग के लोगों को नौकरी दी गई। ये फैसला संविधान में दिए गए आरक्षण पर हमला है और सामाजिक न्याय के खिलाफ है।

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कांग्रेस सांसद तनुज पुनिया ने मंगलवार को यहां पार्टी मुख्यालय में प्रेस वार्ता में उप्र सरकार द्वारा की जा रही इस शिक्षक भर्ती को बड़ा घोटाला बताया। पुनिया ने कहा कि राज्य सरकार आरक्षित वर्ग के युवाओं के साथ धोखा कर रही है। उन्हें मानकों के अनुसार भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नहीं दे रही है।

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि, “भाजपा सरकार दलित, अनुसूचित समाज, ओबी ओबीसी समाज के लोगों को नौकरी से वंचित रखने का काम कर रही है। इस फैसले के खिलाफ जिन छात्रों और शिक्षकों ने आवाज उठाई, उन्हें भी सरकार ने दबाने और कुचलने का काम किया। बाबा साहेब अंबेडकर ने सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की बात कही थी लेकिन सरकार लोगों को इससे वंचित रख रही है। इसी न्याय की लड़ाई हमारे नेता लड़ते आए हैं और लड़ रहे हैं। हमारे नेता लगातार सामाजिक न्याय, हिस्सेदारी, जातिगत जनगणना की बात करते रहे हैं। कांग्रेस पार्टी हमेशा वंचित वर्ग के साथ खड़ी है और आगे भी खड़ी रहेगी। कांग्रेस पार्टी इस भर्ती घोटाले में उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग करती है।”

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UP teacher recruitment, कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि आरक्षित वर्गों की 18,500 खाली सीटों पर दलित समाज, जनजाति समाज और ओबीसी समाज से योग्य उम्मीदवारों का चयन किया जाए। जो अभ्यर्थी इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं, उन पर हो रहे अत्याचार और दमन पर रोक लगे, उनको भी न्याय मिले।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस सामाजिक न्याय और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेगी। इस घोटाले में लाखों युवाओं के अधिकारों पर प्रहार हो रहा है, उनके सपनों को तोड़ा जा रहा है। कई साल मेहनत कर युवा नौकरी पाने का प्रयास करते हैं, लेकिन इनको रोजगार नहीं मिल रहा है। इन्हें जल्द से जल्द न्याय मिले, रोजगार मिले।”

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1. इस भर्ती घोटाले में क्या आरोप लगाए जा रहे हैं?

उत्तर: आरोप है कि 69000 शिक्षकों की भर्ती में आरक्षित वर्ग (SC, ST, OBC) के लिए निर्धारित 18,500 सीटों में से केवल 2,637 सीटों पर ही आरक्षण लागू किया गया, जबकि बाकी 15,863 सीटों को अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को दे दिया गया। कांग्रेस पार्टी और अन्य संगठनों का दावा है कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त आरक्षण प्रणाली का उल्लंघन और सामाजिक न्याय के खिलाफ है।

2. कांग्रेस पार्टी इस मामले में क्या कदम उठा रही है?

उत्तर: कांग्रेस ने इस भर्ती प्रक्रिया को बड़ा घोटाला करार दिया है और उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है। कांग्रेस नेता तनुज पुनिया और अन्य प्रवक्ताओं ने सरकार पर दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोगों के अधिकारों का हनन करने का आरोप लगाया है।

3. क्या सरकार की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया आई है?

उत्तर: अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई विस्तृत आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, इस तरह के मामलों में सरकार आमतौर पर भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता का दावा करती है और जांच की संभावना से इनकार नहीं करती।

4. इस मामले से प्रभावित अभ्यर्थियों को क्या करना चाहिए?

उत्तर: प्रभावित अभ्यर्थियों को कानूनी कार्रवाई का सहारा लेना चाहिए। वे हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं। इसके अलावा, वे राजनीतिक और सामाजिक संगठनों की मदद से अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन और ज्ञापन सौंप सकते हैं।