Tomato Prices Fell: किसानों को खून के आंसू रूला रहा टमाटर, गिरते दाम से हुए परेशान, मुफ्त में बांट रहे टमाटर

Tomato Prices Fell: किसानों को खून के आंसू रूला रहा टमाटर, गिरते दाम से हुए परेशान, मुफ्त में बांट रहे टमाटर

Tomato Prices Fell/ Image Credit: IBC24

HIGHLIGHTS
  • टमाटर के दाम इतने नीचे आ गए कि खेतों से उसे तोड़ना भी किसानों को महंगा पड़ रहा है।
  • टमाटर की खेती में इस समय प्रति एकड़ लागत के मुकाबले 30 से 40 हजार का घाटा हो रहा है।

बैतूल। Tomato Prices Fell: साल 2024 में टमाटर के दाम 100 से 120 रुपये किलोग्राम तक पहुंच गए थे और रसोइयों से टमाटर गायब था, लेकिन आज हालात ये हैं कि, टमाटर बिकना तो दूर बल्कि मुफ्त में बांटा जा रहा है। इस सीजन टमाटर का बम्पर उत्पादन हुआ, लेकिन पिछले एक महीने में टमाटर के दाम इतने नीचे आ गए कि खेतों से उसे तोड़ना भी किसानों को महंगा पड़ रहा है। नतीजा ये है कि, बैतूल के किसान सैकड़ों क्विंटल टमाटर मुफ्त बांट रहे हैं या इन्हें मवेशियों को खिलाया जा रहा है। जिस रसीले टमाटर से भोजन में लज्जत आ जाती है वो टमाटर अन्नदाता को खून के आंसू रुला रहा है। आखिर कैसे तो देखिए इस वीडियो को जिसमें एक किसान लोगों को मुफ्त में टमाटर बांट रहा है और वो भी किलो दो किलो नहीं बल्कि सैकड़ों क्विंटल। पिछले एक महीने में टमाटर के दाम इतने नीचे आ चुके हैं कि खेतों से उसे तोड़ना भी किसान के लिए घाटे का ही सौदा है ।

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बैतूल के जिन किसानों ने टमाटर की खेती की है वो भारी नुकसान झेल रहे हैं । टमाटर की खेती में इस समय प्रति एकड़ लागत के मुकाबले 30 से 40 हजार का घाटा हो रहा है और यही वजह है कि, किसान टमाटर मुफ्त बांट रहे हैं। किसानों का कहना है कि, सरकार को एक ठोस नीति बनानी चाहिए जिससे किसान को सब्जियों की उपज का कोई न्यूनतम मूल्य तो ज़रूर मिले। मुफ्त में टमाटर बांटना किसानों के लिए जितना दर्द भरा है उतना ही आम लोगों के लिए ये किसी सौगात से कम नहीं ।

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Tomato Prices Fell: बाजार में टमाटर खरीदने पहुंचे सैकड़ों लोगों को मुफ्त में ही पांच दस किलोग्राम टमाटर मिल गए तो उन्हें हैरत भी हुई, लेकिन किसानों की मजबूरी देखकर उन्हें थोड़ा अफसोस भी हुआ। पिछले दिनों बैतूल के पत्ता गोभी उत्पादक किसानो ने भी दाम गिरने से गोभी के खेतों में मवेशी छोड़ दिए थे औए अब टमाटर उत्पादक किसानों की ऐसी मजबूरी ये साबित करती है कि लोगों की थाली को तरह तरह के व्यंजनों से भर देने वाला अन्नदाता खुद कितनी पीड़ादायक हालात से गुजर रहा है।