चंबल से किया डाकुओं का खात्मा…! अपने पुलिस करियर में कर चुके हैं करीब 116 एनकाउंटर, पुलिस ऑफिसर अशोक भदौरिया से IBC24 की खास चर्चा

#ibc24Morena jansanwad: आज आपको आईबीसी24 से उनसे मिलाने जा रहा है। साथ ही उनके एनकाउंटर के किससे उनकी जुबानी बताने जा रहा है।

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  • Publish Date - July 9, 2023 / 08:51 PM IST,
    Updated On - July 9, 2023 / 08:54 PM IST

#ibc24Morena jansanwad

#ibc24Morena jansanwad : मुरैना। दुनिया में अपराध करने वाले हैं, तो जुर्म का ख़ात्मा करने वाले भी, मगर कुछ ऐसे हैं, जो न सिर्फ़ अपराध ख़त्म करते हैं, बल्कि अपराधियों को भी मिटाने के लिए जाने जाते हैं। पुलिस विभाग और मीडिया में ऐसे लोगों को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट कहा जाता है। देश में कुछ पुलिस वाले इसी नाम से जाने जाते हैं, जिनमें से एक प्रमुख नाम अशोक सिंह भदौरिया का भी है। अशोक सिंह भदौरिया वो नाम है, जिन्हें डाकुओं का काल भी कहा जाता था। उन्होंने अपनी पुलिस करियर में क़रीब 116 एनकाउंटर किए हैं।

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#ibc24Morena jansanwad : आज आपको आईबीसी24 से उनसे मिलाने जा रहा है। साथ ही उनके एनकाउंटर के किससे उनकी जुबानी बताने जा रहा है। 80 और 90 का दशक डाकुओं के ज़िक्र के बिना अधूरा है। ख़ासतौर से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के लिए यहां के चंबल के इलाके में उस वक़्त डाकुओं का ही साम्राज्य था। हर अपराध के पीछे कोई न कोई नामी डकैत ज़रूर होता था। ऐसे वक़्त में अशोक भदौरिया की पोस्टिंग मध्य प्रदेश पुलिस में आरक्षक के पद पर हुई थी। लेकिन डीएसपी बनने तक उन्होनें 116 एनकाउंटर को अंजाम दिया है, जो देश मे एक अलग इतिहास है।

 

अशोक भदौरिया ने मध्य प्रदेश पुलिस के T1 यानि की टारगेट नंबर वन कहे जाने वाले दयाराम-रामबाबू गड़रिया का भी खात्मा किया। खास बात ये है, मध्य प्रदेश पुलिस ने इस गिरोह के हर सदस्य पर 5-5 लाख रूपए का इनाम घोषित किया था। तो वहीं दयाराम-रामबाबू गड़रिया ने अशोक भदौरिया पर 50 लाख रूपए का इनाम घोषित किया था। अशोक भदौरिया ने चंबल को बहुत हद तक डकैतों से आज़ाद करने का काम किया। आम लोगों को सुरक्षित किया। 116 एनकाउंटर बहुत बड़ी बात होती है।

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यही वजह है कि उन्हें 16 बार राष्ट्रपति पदक के लिए नॉमिनेट किया गया. मगर उन्हें एक भी बार ये अवॉर्ड मिला नहीं. उनके परिवार को भी यही शिकायत है कि आख़िर ऐसे जाबाज़ पुलिस ऑफ़िसर को ये अवॉर्ड क्यों नहीं दिया गया। अब उन्होंने राजनीति में कदम रखने का फैसला किया है। वहां भिंड जिले के अटेर विधानसभा से टिकट मांग रहे है। उनकी नजदीकी दोनों ही दलों के बड़े नेताओं से है। ऐसे में कौन सी पार्टी उन्हें टिकट देती है ये तो वक्त बताएंगा।

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