Long queues of devotees will be seen in Mahakal temple
उज्जैन। धर्म नगरी उज्जैन में श्रावण माह को काफी धूमधाम से मनाया जाता है क्योंकि उज्जैन को शिव अर्थात महाकाल की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि श्रावण माह भगवान शिव को अतिप्रिय है। और इस माह में भगवान शिव की भक्ति और पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। श्रावण माह के महत्व को लेकर महाकाल मंदिर मुख्य पुजारी महेश शर्मा का कहना है कि भूत भावन बाबा महाकाल जिन्हें कालों के काल महाकाल कहा जाता है उनका क्षणिक मात्र स्मरण करने से सभी कष्टों का निवारण हो जाता है।
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उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर दक्षिण मुखी होने के कारण इसका महत्व काफी बढ़ जाता है यही वजह है कि इन्हें कालों के काल महाकाल भी कहा जाता है। इस बार अधिक मास होने के कारण सावन के 2 माह होंगे जिसके द्वितीय माह में नाग पंचमी और रक्षाबंधन त्यौहार मनाया जाएगा वही इस सावन माह की प्रत्येक सोमवार को निकलने वाली सवारी की संख्या बढ़कर 10 हो गई है। और प्रतीक सवारी में बाबा महाकाल भिन्न भिन्न रूप में अपने भक्तों को दर्शन देंगे और उनकी समस्या जानकर उसका निराकरण करेंगे।
बाबा महाकाल की पूजन अभिषेक को लेकर शास्त्रों में भी उल्लेख है कि मनकामना से भगवान शिव की पूजा करने से भी वही फल प्राप्त होता है जो भौतिक रूप से शिवलिंग की पूजा करने से प्राप्त होता है। यह बात अवश्य है कि सावन माह में भगवान शिव का किया गया पूजन अनेक बाधाओं और समस्याओं से मुक्ति दिलाता है।