Dhirendra Shastri on Eid Al-Adha: बंद हो बकरीद पर दी जाने वाली कुर्बानी.. पं. धीरेंद्र शास्त्री ने की मांग, कहा- जिंदा नहीं कर सकते तो…

बंद हो बकरीद दी जाने वाली कुर्बानी.. पं. धीरेंद्र शास्त्री ने की मांग, The sacrifice offered during Bakrid should be stopped, Pandit Dhirendra Shastri made demand

Dhirendra Shastri on Eid Al-Adha: Image Source-IBC24 Archive

छतरपुरः Dhirendra Shastri on Eid Al-Adha: अपने बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहने वाले बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक बार फिर से चर्चा में हैं। इस उन्होंने बकरीद (ईद उल अजहा) में बलि देने की परंपरा को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बकरीद पर जीव हिंसा निंदनीय है। इस पर अपनी कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जीव हिंसा किसी भी संप्रदाय, संस्कृति या मजहब में निश्चित रूप से निंदनीय है। पंडित शास्त्री ने बलि प्रथा के खिलाफ अपनी राय रखते हुए कहा कि हम किसी भी प्रकार से हो, बलि प्रथा के पक्ष में नहीं हैं। इस प्रकार हम बकरीद के भी पक्ष में नहीं हैं। हम किसी को जीवित नहीं कर सकते हैं तो मारने का अधिकार भी किसी को नहीं है।

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Dhirendra Shastri on Eid Al-Adha: उन्होंने स्वीकार किया कि सनातन धर्म में भी बलि प्रथा रही है और उन्होंने दोनों पक्षों को स्वीकार करने की बात कही। हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि समय बदल गया है और अब उपचार और अन्य उपाय उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि हम सब सभ्य और सुशिक्षित हैं। इसलिए हमें लगता है कि जीव हिंसा को रोकना चाहिए। अहिंसा परमो धर्म के पर्याय पर चलना चाहिए। पंडित शास्त्री ने आगे कहा कि जीव हिंसा को रोकने से सभी मजहबों को तंदुरुस्ती मिलेगी और सबको जीने का अधिकार है – यह एक प्रण और प्रेरणा प्राप्त होगी।

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पं. धीरेंद्र शास्त्री ने बकरीद को लेकर क्या कहा है?

उन्होंने बकरीद पर दी जाने वाली बलि को जीव हिंसा बताया और इसका विरोध किया।

क्या उन्होंने सनातन धर्म की बलि प्रथा का भी उल्लेख किया?

हां, उन्होंने स्वीकार किया कि सनातन धर्म में भी बलि की परंपरा रही है, लेकिन अब समय के साथ बदलाव जरूरी है।

उनका मुख्य तर्क क्या है बलि के विरोध में?

उन्होंने कहा कि जब हम किसी को जीवित नहीं कर सकते तो मारने का भी अधिकार हमें नहीं है।

क्या यह बयान सभी धर्मों के लिए था?

उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी धर्म या मजहब में हिंसा उचित नहीं है और अहिंसा ही सर्वोत्तम मार्ग है।

क्या इस बयान पर विवाद की संभावना है?

हां, धार्मिक भावनाओं से जुड़ा विषय होने के कारण इस तरह के बयान अक्सर बहस और विवाद को जन्म देते हैं।