नागपुर, 10 दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को विधानसभा में एक विधेयक पेश किया, जिसमें गैर-कृषि (एनए) अनुमति प्राप्त करने के बाद संबंधित प्राधिकारियों से ‘सनद’ (प्रमाणपत्र) लेने की अनिवार्यता को समाप्त करने का प्रस्ताव है। यह कदम भू-राजस्व प्रक्रियाओं को सरल बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने महाराष्ट्र भूमि राजस्व संहिता (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2025 पेश करते हुए कहा कि सरकार ने 1966 की संहिता में संशोधन के माध्यम से 2014 और 2018 के बीच एनए अनुमति की शर्त में पहले ही ढील दी थी।
बावनकुले ने सदन को बताया कि इन बदलावों के बावजूद, नागरिकों को अभी भी ‘सनद’ (गैर-कृषि उपयोग प्रमाण पत्र) प्राप्त करना आवश्यक है, जिससे प्रक्रिया जटिल बनी हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार ने अब इस प्रावधान को पूरी तरह से हटाने का फैसला किया है। इसके बजाय, ‘रेडी रेकनर’ (आरआर) दरों के आधार पर एक मामूली शुल्क वसूला जाएगा।’’
विधेयक के अनुसार, अब भूमि उपयोग को सनद के बिना भी नियमित किया जा सकता है, जिसके लिए आरआर मूल्य पर गणना किए गए शुल्क का भुगतान करना होगा।
सरकार ने स्पष्ट किया कि इस बदलाव से स्थानीय स्वशासी निकायों के राजस्व पर कोई असर नहीं पड़ेगा और उन्हें उनका उचित हिस्सा मिलता रहेगा।
भाषा राखी शफीक
शफीक