Chaitra Navratri 2022: मां चंद्रघंटा की इस विधि से करें पूजा, सफल और सटीक इस विशेष मंत्र का करें जाप

Chaitra Navratri 2022 : कहा जाता है कि जो भी नवरात्रि में देवी चंद्रघंटा की मनोयोग से आराधना करता है, उसे सौम्यता की प्राप्ति होती है..

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  • Publish Date - April 4, 2022 / 07:33 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:50 PM IST

धर्म। Chaitra Navratri 2022 :  शक्ति की भक्ति के महापर्व नवरात्रि का आज तीसरा दिन है। आज माता के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा हो रही है। देवी चंद्रघंटा को विनम्रता की ऐसी प्रतिमूर्ति कहा जाता है, जो अपने भक्तों को शांति और शक्ति का वरदान देती हैं। कहा जाता है कि जो भी नवरात्रि में देवी चंद्रघंटा की मनोयोग से आराधना करता है, उसे सौम्यता की प्राप्ति होती है।

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या देवी सर्वभू‍तेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

Chaitra Navratri 2022 मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है। नवरात्र की उपासना में तीसरे दिन इनकी पूजा का विशेष महत्व है। मां चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे का आकार का अर्धचंद्र है। इसी कारण से इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। इनके शरीर का रंग सोने के समान चमकीला है। इनके दस हाथ हैं। इनके दसों हाथों में शस्त्र-अस्त्र विभूषित हैं। इनका वाहन सिंह है। माता चंद्रघंटा युद्ध की मुद्रा में प्रतीत होती हैं।

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सभी देवताओं के तेज से इस कल्याणकारी देवी की प्रादुर्भाव हुआ है। सभी देवताओं ने देवी को अस्त्र-शस्त्र अर्पित किए है। मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाएं नष्ट हो जाती हैं। इनकी आराधना फलदायी है।

Chaitra Navratri 2022 मां चंद्रघंटा की बहुविध पूजा के बाद गौ दूध के बने पदार्थों का भोग लगाएं। माता के साधकों को आज के दिन भूरे और सफेद रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए। माँ भक्तों के कष्ट का निवारण शीघ्र ही कर देती हैं। इनका उपासक सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। इनके घंटे की ध्वनि सदा अपने भक्तों को प्रेत बाधा से रक्षा करती है।

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माँ का ये स्वरूप परम शांति दायक और कल्याणकारी है। इस दिन साधक का मन ‘मणिपूर’ चक्र में प्रविष्ट होता है। माँ का स्वरूप सौम्यता और शांति से परिपूर्ण है। मां की उपासना करने से सिद्धियों की प्राप्ति होती है और भक्त समस्त सांसारिक कष्टों से मुक्त हो जाता है।

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