लाल गैंग फिर हमलावर..बड़े हमलों से खबरदार! आखिर कितनी कारगर है नक्सलियों के खिलाफ हमारी रणनीति?
लाल गैंग फिर हमलावर..बड़े हमलों से खबरदार! Naxalite incidents increase in Bastar during the summer months
रायपुरः प्रदेश में नक्सली घटनाओं का इतिहास बताता है कि चिलचिलती धूप, लू और बढ़ती गर्मी में अक्सर बस्तर में नक्सली अपनी धमक दिखाने की कोशिश करते हैं। बीते कुछ घंटों में घटी नक्सली वारदातें भी इसी तरफ इशारा कर रही हैं कि नक्सली सक्रिय हो गए हैं और सुरक्षा कैंप, निर्माण कार्य में लगे वाहन और अंदरूनी सड़कें एक बार फिर उनके निशाने पर हैं । अफसरों का दावा है कि उनकी पैनी नजर नक्सलियों के हर मूवमेंट पर है। उन्हें मुंहतोड़ जवाब भी दिया जा रहा है। अहम सवाल ये कि ये सिलसिला आखिर कब तक और कितनी कारगर है नक्सलियों के खिलाफ हमारी रणनीति?
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पिछले 24 घंटे के अंदर नक्सल मोर्चे से आई 5 वारदातों की खबर साफ-साफ मैसेज देती है कि बस्तर से लाल आतंक खत्म नहीं हुआ है। तमाम दावों और दबाव के बावजूद नक्सली घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। गर्मी की दस्तक के साथ ही नक्सल फ्रंट पर एक बार फिर गहमागहमी बढ़ गई है। जिसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल ये कि पारा चढ़ते ही नक्सली क्यों हमलावर हो जाते हैं। ताड़मेटला, बुर्कापाल से लेकर तर्रेम हमले तक नक्सलियों ने गर्मी के महीने में ही बड़ी वारदातों को अंजाम दिया। अगर नक्सलियों की पिछली रणनीति पर गौर करें तो अक्सर अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराने और मैसेज देने के लिए कि लाल आतंक यहां कमजोर नहीं पड़ा है वो अलग-अलग तरीकों से घटनाओं को अंजाम देते हैं। बहरहाल बढ़ती नक्सली वारदातों को लेकर अधिकारी भी अलर्ट मोड पर हैं।
नक्सल हिंसा का दंश बस्तर कई दशकों से चला आ रहा है। कई सरकारें आई और कई सरकारें गई, लेकिन समस्या का समाधान पूरी तरह नहीं हो पाया है। हालांकि हर बार इसे लेकर नया दावा और आरोप-प्रत्यारोप की सियासत जरूर शुरू हो जाती है। जाहिर तौर पर बीते कई बरसों से नक्सली गर्मियों में बड़े हमले बोलते रहे हैं। अप्रैल और गर्मी के में खास रणनीति के तहत वो घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। अंत में सवाल फिर वही कि इस सूरतेहाल में अब लाल आतंक को काउंटर कैसे करेगी सरकार?

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