अब पशुओं में नया वायरस, ‘लम्पी स्किन डिसीज’ की छत्तीसगढ़ में दस्तक, राजनांदगांव जिले के कई गांवों में तेजी से फैला संक्रमण

अब पशुओं में नया वायरस, 'लम्पी स्किन डिसीज' की छत्तीसगढ़ में दस्तक, राजनांदगांव जिले के कई गांवों में तेजी से फैला संक्रमण

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  • Publish Date - August 11, 2020 / 12:15 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:39 PM IST

राजनांदगांव: कोरोनावायरस से जूझ रहे लोगों के सामने एक और वायरस ने समस्या खड़ी कर दी है लेकिन इस बार यह वायरस गाय, बैल, भैंस सहित अन्य पशुओं में नजर आ रहा है। इसके संक्रमण से पालतू पशु तेजी से संक्रमित हो रहे हैं। लम्पी स्किन डिसीज नामक इस वायरस का प्रकोप राजनांदगांव जिले के अंबागढ़ चौकी, मानपुर, मोहला, छुरिया, डोंगरगांव, छुईखदान, गंडई सहित अन्य क्षेत्रों में देखा जा रहा है। यह बेहद तेजी से फैलते हुए अपना विकराल रूप भी ले रहा है। यह वायरस साउथ अफ्रीका में फैला था, जिसका प्रकोप अब राजनांदगांव जिले में भी दिखाई दे रहा है। इस वायरस के बारे में कहा जा रहा है कि यह विदेश से उड़ीसा के रास्ते छत्तीसगढ़ में पहुंचा है। यहां से यह राजनांदगांव जिले में भी अपना संक्रमण तेजी से फैला रहा है। इस वायरस के प्रकोप से मवेशियों में शारीरिक अक्षमता आ सकती है। जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्र के पशुओं मालिक बेहद चिंतित है।

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किसानों का कहना है कि इस संक्रमण की वजह से किसानी में उपयोग बैल और भैंस कमजोर हो जाते हैं और जमीन से भी नहीं उठ पाते हैं। पशुओं में फैल रहे इस वायरस को लेकर अब तक कोई कारगर दवाई नहीं बनी है। इस बीमारी के संबंध में पशुचिकित्सक डॉ संदीप इंदुरकर का कहना है कि यह एक प्रकार का संक्रामक रोग है यदि किसी ग्राम के पशुओं में यह रोग फैलता है तो उस जगह से 50 किलोमीटर के आस पास के क्षेत्र को प्रभावित करता है। यह एक स्वतः नियंत्रित बीमारी है जो पशुओं की शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करता है।

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पशुचिकित्सक डाॅ संदीप इंदुरकर ने कहा कि लम्पी स्कीन डिसीज से पशुओं के पैरों में सूजन आना, पशुओं को तेज बुखार आना, पशुओं के शरीर पर गठान दिखना, सर्दी के लक्षण दिखना, नाक से पानी बहना, आंखों से पानी बहना आदि शामिल है। इस रोग के फैलने के कई करण भी हैं जिसमें किरनी पेशवा प्रमुख रोगवाहक हैं जो एक से दूसरे पशुओं में जाते हैं। वहीं संक्रमित पशु का स्वस्थ पशुओं के साथ रहना भी इसके फैलाव का कारण है। अधिकतर इस रोग का संक्रमण 12 से 15 दिनों तक रहता है फिर स्वतः ही यह समाप्त हो जाता है।

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