2025 में जलवायु परिवर्तन ने चरम मौसमी घटनाओं को बनाया और गंभीर: रिपोर्ट

2025 में जलवायु परिवर्तन ने चरम मौसमी घटनाओं को बनाया और गंभीर: रिपोर्ट

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  • Publish Date - December 30, 2025 / 08:09 PM IST,
    Updated On - December 30, 2025 / 08:09 PM IST

नयी दिल्ली, 30 दिसंबर (भाषा) वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन ने वर्ष 2025 में दुनिया भर में चरम मौसम की घटनाओं को बढ़ावा दिया, जिससे ‘हीटवेव’, सूखा, तूफ़ान और जंगल की आग और भी गंभीर हो गई तथा लाखों लोग अपनी ‘अनुकूलन क्षमता की अंतिम सीमा’ के करीब पहुंच गए।

अनुकूलन क्षमता की अंतिम सीमा का मतलब है — हालात इतने कठिन हो जाना कि लोग चाहकर भी उनके मुताबिक खुद को ढाल न सकें

रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों से बचने के लिए जीवाश्म ईंधन के उपभोग में तेजी से कटौती करने का आह्वान किया है।

वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन है जो तूफान, अत्यधिक वर्षा, ‘हीटवेव’ और सूखे जैसी चरम मौसमी घटनाओं पर जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभाव का विश्लेषण और जानकारी साझा करता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद से लू (हीटवेव) की तीव्रता में काफी वृद्धि हुई है और अब ऐसी घटनाओं की आशंका 2015 की तुलना में 10 गुना अधिक हो गई है।

इसमें बताया गया कि 2025 में वैश्विक तापमान असामान्य रूप से उच्च रहा और अल नीनो जैसे प्राकृतिक कारकों के ठंडे चरण में होने के बावजूद, ग्लोबल वार्मिंग के कारण 2025 अब तक के सबसे गर्म वर्षों में से एक रहा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि चरम मौसम का प्रभाव असमान रूप से कमजोर वर्गों और हाशिये पर रहने वाले समुदायों पर पड़ता है। यही असमानता जलवायु विज्ञान में भी दिखती है, जहां डेटा की कमी और जलवायु मॉडलों की सीमाएं ‘ग्लोबल साउथ’ में होने वाली घटनाओं के विश्लेषण को बाधित करती हैं।

विशेषज्ञों ने कहा कि आबादी की संवेदनशीलता और जोखिम कम करने से जानें बचती हैं, लेकिन 2025 की कुछ चरम घटनाओं ने दिखाया कि जलवायु परिवर्तन पहले ही लाखों लोगों को उनकी ‘अनुकूलन क्षमता की अंतिम सीमा’ के करीब धकेल रहा है।

इम्पीरियल कॉलेज लंदन के सेंटर फॉर एनवायरनमेंटल पॉलिसी में जलवायु विज्ञान की प्रोफेसर फ्रेडरिके ओटो ने कहा, ”हर साल जलवायु परिवर्तन के जोखिम काल्पनिक कम और क्रूर सच्चाई ज्यादा बनते जा रहे हैं।”

साथ ही उन्होंने कहा कि रिपोर्ट बताती है कि कार्बन उत्सर्जन कम करने के प्रयासों के बावजूद, ये प्रयास वैश्विक तापमान वृद्धि और सबसे गंभीर प्रभावों को रोकने में असफल रहे हैं। निर्णयकर्ताओं को इस वास्तविकता को स्वीकार करना चाहिए कि जीवाश्म ईंधन पर उनका लगातार निर्भर रहना जानलेवा साबित हो रहा है, अरबों का आर्थिक नुकसान कर रहा है और दुनिया भर की समुदायों को अपरिवर्तनीय क्षति पहुंचा रहा है।

ओटो वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन की सह-संस्थापक भी हैं।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि ला नीना की स्थिति के बावजूद, यह साल इतिहास के तीन सबसे गर्म वर्षों में शामिल रहेगा और तीन साल का औसत पहली बार 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर जाएगा।

साल 2025 में, वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन ने 157 चरम मौसम की घटनाओं की पहचान की, जो मानवीय प्रभाव के एक निर्धारित मानदंड को पूरा करती थीं। सबसे अधिक घटनाएं बाढ़ और ‘हीटवेव’ की रही, दोनों की संख्या 49-49 रही। इसके बाद तूफान (38), जंगल की आग (11), सूखा (7) दर्ज की गईं।

वैज्ञानिकों ने इनमें से 22 घटनाओं का गहन अध्ययन किया और पाया कि 17 घटनाएं जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक गंभीर या संभावित हुईं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 की सबसे घातक चरम मौसम की घटनाएं ‘हीटवेव’ थीं। जबकि अधिकांश गर्मी से संबंधित मौतें दर्ज नहीं की गई हैं। एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया कि इस साल यूरोप में हीटवेव में लगभग 24,400 लोग मरे।

इसके अलावा, एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में आए तूफानों ने 1,700 से अधिक लोगों की जान ली और अरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान पहुंचाया।

भाषा

सुमित पवनेश

पवनेश