कोयला घोटाला: दिल्ली की अदालत ने भ्रष्टाचार मामले में जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड को दोषमुक्त किया

कोयला घोटाला: दिल्ली की अदालत ने भ्रष्टाचार मामले में जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड को दोषमुक्त किया

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  • Publish Date - January 14, 2025 / 08:04 PM IST,
    Updated On - January 14, 2025 / 08:04 PM IST

नयी दिल्ली, 14 जनवरी (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने छत्तीसगढ़ में गेयर पल्मा और राजगैमर डिप्साइड कोयला ब्लॉकों के आवंटन और संचालन में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में मंगलवार को जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड (पूर्व में मोनेट इस्पात) को दोषमुक्त करार दिया।

विशेष न्यायाधीश अरुण भारद्वाज ने इस बात पर गौर करते हुए आदेश पारित किया कि संबंधित प्राधिकारी ने दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत एक प्रस्ताव के माध्यम से मोनेट इस्पात का अधिग्रहण करने के जेएसडब्ल्यू के आवेदन को मंजूरी दी थी।

न्यायाधीश ने यह आदेश जेएसडब्ल्यू द्वारा कानून के तहत दी गई छूट के आधार पर दाखिल, बरी करने की याचिका पर पारित किया, जिसमें कहा गया था कि उसने संहिता के तहत मोनेट इस्पात का अधिग्रहण किया है।

न्यायाधीश ने कहा कि प्राधिकारी ने जेएसडब्ल्यू के अधिग्रहण के आवेदन को मंजूरी दी थी।

जेएसडब्ल्यू ने धारा 32ए का हवाला देते हुए छूट की मांग की थी, जिसमें कहा गया है कि कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के शुरू होने से पहले किसी भी कानून के तहत किए गए अपराध के लिए कॉर्पोरेट देनदार की देनदारी समाप्त हो जाएगी और कॉर्पोरेट देनदार पर उस तारीख से ऐसे अपराध के लिए मुकदमा नहीं चलाया जाएगा, जिस तारीख को समाधान योजना को निर्णायक प्राधिकारी द्वारा मंजूरी दी गई थी।

न्यायाधीश ने कहा, ‘न्यायिक प्राधिकारी द्वारा समाधान योजना को मंजूरी देने से पता चलता है कि आईबीसी, 2016 की धारा 32 ए के तहत आवश्यक प्रक्रिया पूरी की गई थी। इसलिए, आरोपी नंबर 1 कंपनी को आईबीसी, 2016 की धारा 32 ए के तहत दोषमुक्त किया जाता है।’

कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने पैरवी की।

यह मामला 1993 से 2005 के बीच कोयला ब्लॉकों के आवंटन से जुड़े कई मामलों में से एक है। केंद्रीय अन्वेषण अभिकरण (सीबीआई) ने इस अवधि के दौरान कोयला ब्लॉकों के आवंटन में अनियमितताओं की जांच के लिए 26 सितंबर, 2012 को एक प्रारंभिक मामला दर्ज किया था।

भाषा जोहेब संतोष

संतोष