हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, सार्वजनिक स्‍थान पर हुई बदसलूकी तभी लागू होगा SC-ST एक्‍ट

Karnataka High Court on sc-st act: एक लंबित मामले को रद्द करते हुए कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि इमारत के बेसमेंट में उसे जातिसूचक शब्‍द कहे गए थे। इस दौरान उसके सहकर्मी मौजूद थे,

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  • Publish Date - June 24, 2022 / 06:48 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:36 PM IST

Karnataka High Court on sc-st act: नई दिल्‍ली। कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने कहा है कि सार्वजनिक स्‍थान पर बदसलूकी होने पर ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम लागू होगा। एक लंबित मामले को रद्द करते हुए कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि इमारत के बेसमेंट में उसे जातिसूचक शब्‍द कहे गए थे। इस दौरान उसके सहकर्मी मौजूद थे, इस पर कोर्ट ने कहा कि बेसमेंट सार्वजनिक स्‍थल नहीं है और इस मामले में अन्‍य कारण भी मौजूद हैं। इससे प्रबल संभावना है कि आरोपी को निशाने पर लिया जा रहा हो।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp  ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<

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कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने इस अहम फैसले में कहा है कि बयानों से दो तथ्‍य सामने आए हैं, पहला की बेसमेंट कोई सार्वजनिक स्‍थान नहीं था और दूसरा इस घटना का दावा केवल वे कर रहे हैं जो शिकायतकर्ता के सहकर्मी हैं। इनमें से एक व्‍यक्ति का आरोपी रितेश पियास से कंस्‍ट्रक्‍शन को लेकर विवाद था और उसने इमारत निर्माण कार्य के खिलाफ स्टे ले लिया था, कोर्ट ने कहा कि मामले में कई अन्‍य कारण भी शामिल हैं, ऐसे में प्रबल संभावना है कि शिकायतकर्ता, अपने कर्मचारी का सहारा लेते हुए, आरोपी को निशाने पर लेने की कोशिश कर रहा हो।

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आरोपी और शिकायतकर्ता के बीच विवाद भी था

Karnataka High Court on sc-st act: मामला 2020 की घटना के बाद दर्ज कराया गया था, इसमें बताया गया था कि शिकायतकर्ता मोहन, भवन स्वामी जयकुमार आर नायर सहकर्मी हैं। इधर नायर का रितेश से कंस्ट्रक्शन को लेकर विवाद था, मामला बढ़ने पर उसने भवन निर्माण कार्य के खिलाफ स्टे ले लिया था। आरोप था कि इमारत के कंस्ट्रक्शन के दौरान रितेश ने मोहन को जातिसूचक शब्‍द कहे थे। उस समय पीड़ित और उसके सहकर्मी मौजूद थे, भवन मालिक जयकुमार आर नायर ने ठेके पर काम दिया था।