Publish Date - February 9, 2025 / 04:18 PM IST,
Updated On - February 9, 2025 / 04:18 PM IST
Women Arrest After Sunset/ Image Credit : ANI X Handle
HIGHLIGHTS
मद्रास हाईकोर्ट ने महिलाओं को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है।
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि, महिलाओं की सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तारी पर कानूनी प्रतिबंध अनिवार्य नहीं बल्कि निर्देशात्मक हैं।
कोर्ट ने यह भी बताया कि कानून महिलाओं की रात में गिरफ्तारी को प्रतिबंधित करता है, सिवाय असाधारण परिस्थितियों के।
चेन्नई: Women Arrest After Sunset: मद्रास हाईकोर्ट ने महिलाओं को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि, महिलाओं की सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तारी पर कानूनी प्रतिबंध अनिवार्य नहीं बल्कि निर्देशात्मक हैं।
न्यायमूर्ति जी.आर. स्वामीनाथन और न्यायमूर्ति एम.जोथिरमन की खंडपीठ ने यह स्पष्ट किया कि यह प्रावधान कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक सावधान करने वाला उपाय है, लेकिन इसका पालन न करने से गिरफ्तारी स्वतः अवैध नहीं हो जाती। हालांकि, अधिकारी को इस प्रक्रिया का पालन न करने के पीछे उचित कारण प्रस्तुत करना होगा।
Women Arrest After Sunset: कोर्ट ने यह भी बताया कि कानून महिलाओं की रात में गिरफ्तारी को प्रतिबंधित करता है, सिवाय असाधारण परिस्थितियों के। ऐसी परिस्थितियों में क्षेत्राधिकार मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति आवश्यक होती है। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि कानून में ‘असाधारण परिस्थिति’ की स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है।
मामले “सलमा बनाम राज्य” का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने कहा कि इससे पहले एकल न्यायाधीश ने महिलाओं की गिरफ्तारी को लेकर दिशानिर्देश बनाए थे, लेकिन खंडपीठ ने उन्हें अपर्याप्त करार दिया और पुलिस अधिकारियों के लिए अधिक स्पष्टता की आवश्यकता बताई।
अदालत ने पुलिस को दिए सुस्पष्ट दिशानिर्देशों को तैयार करने का निर्देश
Women Arrest After Sunset: अदालत ने पुलिस विभाग को यह निर्देश दिया कि वे स्पष्ट दिशानिर्देश तैयार करें, जिनमें यह स्पष्ट हो कि किन परिस्थितियों में रात के समय महिला की गिरफ्तारी की जा सकती है। इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने राज्य विधानसभा को सुझाव दिया कि वे भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 43 में संशोधन करें, जैसा कि भारतीय विधि आयोग की 154वीं रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी।
Women Arrest After Sunset: कोर्ट ने एकल न्यायाधीश के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें निरीक्षक अनीता और हेड कांस्टेबल कृष्णवेनी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए कहा गया था। हालांकि, कोर्ट ने उपनिरीक्षक दीपा के खिलाफ कार्रवाई को बरकरार रखा क्योंकि उन्होंने कोर्ट के समक्ष तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था।
इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि महिलाओं की गिरफ्तारी को लेकर कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए अधिक स्पष्टता की जरूरत है। यह फैसला न केवल पुलिस प्रशासन के लिए मार्गदर्शन का काम करेगा बल्कि कानूनी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने में भी मदद करेगा।
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मद्रास हाईकोर्ट का फैसला महिलाओं की गिरफ्तारी के बारे में क्या है?
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि महिलाओं की सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तारी पर कानूनी प्रतिबंध अनिवार्य नहीं हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया का पालन न करने के कारणों को पुलिस अधिकारियों को स्पष्ट करना होगा।
क्या मद्रास हाईकोर्ट के फैसले से महिलाओं की गिरफ्तारी के लिए कोई नई दिशा-निर्देश जारी हुए हैं?
हां, कोर्ट ने पुलिस विभाग को यह निर्देश दिया कि वे स्पष्ट दिशानिर्देश तैयार करें, जिनमें यह स्पष्ट हो कि किन परिस्थितियों में रात के समय महिला की गिरफ्तारी की जा सकती है।
क्या मद्रास हाईकोर्ट का फैसला भारतीय न्याय संहिता (BNS) में बदलाव की ओर संकेत करता है?
हां, कोर्ट ने राज्य विधानसभा को सुझाव दिया कि वे भारतीय न्याय संहिता की धारा 43 में संशोधन करें, जैसा कि भारतीय विधि आयोग की 154वीं रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी।
क्या मद्रास हाईकोर्ट ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की है?
हां, कोर्ट ने एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें निरीक्षक अनीता और हेड कांस्टेबल कृष्णवेनी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, उपनिरीक्षक दीपा के खिलाफ कार्रवाई की गई क्योंकि उन्होंने कोर्ट के सामने गलत तथ्यों को प्रस्तुत किया था।
क्या महिलाओं की गिरफ्तारी के लिए असाधारण परिस्थितियों की कोई स्पष्ट परिभाषा है?
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि कानून में ‘असाधारण परिस्थिति’ की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है, जिससे इस प्रावधान में अस्पष्टता बनी हुई है।