अरुणाचल प्रदेश के लिए सूर्योदय महोत्सव में अपार संभावनाएं: खांडू

अरुणाचल प्रदेश के लिए सूर्योदय महोत्सव में अपार संभावनाएं: खांडू

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  • Publish Date - December 30, 2025 / 06:44 PM IST,
    Updated On - December 30, 2025 / 06:44 PM IST

ईटानगर, 30 दिसंबर (भाषा) अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने मंगलवार को कहा कि सूर्योदय महोत्सव न केवल सीमावर्ती अंजॉ जिले के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए पर्यटन क्षेत्र में अपार संभावनाएं रखता है।

अंजॉ के डोंग गांव में आयोजित सूर्योदय महोत्सव राज्य में ऐसा पहला नव वर्ष उत्सव है, जो भारत में सबसे पहले होने वाले सूर्योदय का गवाह बनने के अनूठे अनुभव के इर्द-गिर्द केंद्रित है।

खांडू ने सूर्योदय महोत्सव के उद्घाटन दिवस को ‘‘जादुई अनुभव’’ करार दिया।

मुख्यमंत्री ने ‘एक्स’ पर महोत्सव स्थल की कुछ तस्वीरें साझा करते हुए कहा कि डोंग में सुबह के शुरुआती घंटे, जो योग और ध्यान को समर्पित रहे, देश के सबसे पूर्वी छोर की शांति, सुंदरता और आध्यात्मिक ऊर्जा को दर्शाते हैं।

खांडू ने सोमवार को उपमुख्यमंत्री चाउना मीन के साथ डोंग में पांच दिवसीय सूर्योदय महोत्सव का औपचारिक उद्घाटन किया।

उन्होंने कहा कि इस महोत्सव की परिकल्पना एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ की गई है, ताकि स्थानीय उद्यमियों के लिए स्थायी आजीविका के अवसर पैदा किए जा सकें।

खांडू ने कहा कि इसका उद्देश्य जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देना और इस सुदूर सीमावर्ती जिले में छोटे व्यवसायों को विकसित करने में मदद करना है।

उन्होंने कहा, “दस साल बाद हमारा लक्ष्य इस महोत्सव को और भी व्यापक रूप से उभरते देखना है। हम ‘कोई कचरा न छोड़ें, कोई निशान न छोड़ें’ पहल का सख्त अनुपालन भी सुनिश्चित करना चाहते हैं।”

खांडू ने कहा कि यह महोत्सव न केवल अंजॉ जिले के लिए, बल्कि पूरे अरुणाचल प्रदेश के लिए पर्यटन की अपार संभावनाएं रखता है।

अधिकारियों ने बताया कि महोत्सव के उद्घाटन सत्र में आगंतुकों का गांव में पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया और इस दौरान स्थानीय समुदायों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। उन्होंने बताया कि सुबह सूर्योदय स्थल तक ट्रेकिंग कराई गई और वहां योग सत्र भी आयोजित किए गए।

अधिकारियों ने बताया कि यह महोत्सव दो जनवरी तक चलेगा और प्रत्येक दिन का कार्यक्रम संस्कृति, रोमांच, नवीनीकरण और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता जैसे विषयों पर आधारित होगा।

भाषा

प्रचेता पारुल

पारुल