इंदौर (मध्यप्रदेश), 12 दिसंबर (भाषा) इंदौर में फर्जी ‘डिजिटल अरेस्ट’ के ताजा मामले में ठग गिरोह ने एक बुजुर्ग महिला को जाल में फंसाया और उससे करीब 30 लाख रुपये की ठगी कर ली। पुलिस के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर धोखाधड़ी का बढ़ता स्वरूप है जिसमें ठग गिरोह के सदस्य खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल करके धमकाते हैं। वे पीड़ितों को डिजिटल रूप से बंधक बनाकर उन पर धन के ऑनलाइन अंतरण का दबाव बनाते हैं।
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश दंडोतिया ने बताया कि ठग गिरोह के एक सदस्य ने 67 वर्षीय महिला को 23 नवंबर को फोन किया और स्वयं को जम्मू कश्मीर का पुलिस अधीक्षक बताया।
उन्होंने बताया, ‘‘ठग ने महिला से कहा कि एक आतंकी की गिरफ्तारी के बाद उससे जब्त मोबाइल में 2,300 करोड़ रुपये के धनशोधन के सुराग मिले हैं और इसमें महिला के बैंक खाते का इस्तेमाल किया गया है। फोन कॉल पर ठग ने यह भी कहा कि धनशोधन के बदले महिला को 1.50 करोड़ रुपये मिले हैं।’’
दंडोतिया के मुताबिक ठग ने महिला को धमकाया कि अगर उसके बैंक खातों में जमा रकम जांच के लिए सरकारी खातों में नहीं भेजी गई, तो उसे आतंकी गतिविधि में शामिल होने के जुर्म में गिरफ्तार करके जेल भेज दिया जाएगा।
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त ने बताया कि इस धमकी से भयभीत महिला 23 नवंबर से तीन दिसंबर तक ठग की बातें मानती रही और उसने अपनी जमा-पूंजी के करीब 30 लाख रुपये उसके बताए बैंक खातों में अलग-अलग किश्तों में भेज दिए।
उन्होंने बताया, ‘‘महिला अपने घर में अकेली रहती है। उसके दो बेटे विदेश में हैं। ठग की धमकी से घबराकर उसने कई दिनों तक किसी भी व्यक्ति को कुछ नहीं बताया। बाद में उसने हिम्मत जुटाकर अपनी बेटी और दामाद को आपबीती सुनाई और पुलिस को साइबर ठगी की शिकायत की।’’
दंडोतिया ने बताया कि इस शिकायत पर भारतीय न्याय संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम के संबद्ध प्रावधानों के तहत एक मामला दर्ज किया गया है, जिसकी जांच की जा रही है।
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