‘बाबा’ तेरे नाम पर.. नेता लग गए काम पर! अंबेडकर के नाम पर कौन कर रहा राजनीति?

'बाबा' तेरे नाम पर.. नेता लग गए काम पर! अंबेडकर के नाम पर कौन कर रहा राजनीति? Who is doing politics in the name of Ambedkar

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  • Publish Date - April 13, 2023 / 10:53 PM IST,
    Updated On - April 13, 2023 / 10:53 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनावी साल में सियासी दलों को दलितों की याद सताने लगी है। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती पर भाजपा ग्वालियर में दलित महासम्मेलन का आयोजन कर रही है तो वहीं कांग्रेस बाबा साहब की जन्म स्थली महू के साथ प्रदेश भर में आयोजन कर रही है। यही नहीं भाजपा और कांग्रेस के अलावा दूसरे दल भी दलितों को रिझाने में पीछे नहीं है। यही आज की डिबेट का टॉपिक है, जिसका नाम है- ‘बाबा’ तेरे नाम पर नेता लग गए काम पर। सवाल है कि बाबा साहब के नाम पर सिर्फ राजनीति हो रही है या वाकई उनके सिद्धांतों को भी फॉलो किया जा रहा है। सवाल ये भी है कि दलितों को रिझाने के लिए सियासी दलों के पास प्लान क्या है और दलित मतदाता आखिर किसके साथ हैं।

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मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों के पहले दलित वोट बैंक को साधने की रणनीति के तहत राजनीतिक दल डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती धूमधाम से मनाने की तैयारियों में जुटे हैं। भाजपा ने ग्वालियर में दलित महाकुंभ की तैयारी की है, जिसमें 2 लाख से ज्यादा लोगों को बुलाने का दावा किया जा रहा है। वहीं कांग्रेस बाबा साहेब की जन्मस्थली महू के साथ प्रदेश भर में आयोजन कर रही है। इधर, बसपा आष्टा में बड़ा दलित सम्मेलन करेगी और इस पूरे महीने जिला और विधानसभा स्तर पर कार्यक्रम कर रही है। इसके साथ ही भीम आर्मी महू में अपनी राजनीतिक विंग आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद के साथ समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी और जयस नेताओं को एक मंच पर लाएगी। सीएम शिवराज सिंह चौहान और पूर्व सीएम कमलनाथ भी डॉ अंबेडकर जयंती पर श्रद्धांजलि देंगे। हालांकि दोनों पार्टियों के नेता एक दूसरे पर बाबा साहब के नाम पर राजनीति का आरोप लगा रहे हैं।

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भाजपा और कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी भी इस कवायद में कूद पड़ी है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि BJP के कहने से संविधान और बाबा साहब के सिद्धांतों को खतरा है। सियासी दलों के दलित प्रेम को समझने के लिए इन आंकड़ों पर गौर फरमाइए। एमपी में SC वर्ग के लिए 35 सीटें आरक्षित हैं और करीब 15.6 फीसदी वोर्टर दलित वर्ग से हैं। इसके अलावा 80 सीटों पर दलित मतदाताओं की दखल है। जाहिर है इस वर्ग को साधने से 23 की राह आसान हो जाएगी।

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