भोपाल। Face To Face विधानसभा चुनाव में महज कुछ ही समय बाकी है। चुनावी बिसात बिछ चुकी है और मोहरे सजने शुरू हो गए हैं। इस बार सियासी दल आधी आबादी यानी महिलाओं पर बड़ा दांव खेल रहे हैं। शिवराज सरकार जहां लगातार महिलाओं को फोकस में रखकर योजनाएं बना रही है। तो, दूसरी तरफ इसकी काट के तौर पर कांग्रेस भी लगातार महिलाओं के लिए चुनावी घोषणाएं कर रही है। यानी महिलाएं ही इस बार सियासी दलों को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाएगी, ये मान लिया गया है और चुनावी समीकरण इसी आधार पर तैयार किए जा रहे हैं।
Face To Face चुनाव से पहले राजनीतिक दल वोटरों को रिझाने के लिए हर वो प्रयास करते हैं। जिसका फायदा उन्हें चुनाव में मिल सके। मध्यप्रदेश पांच सालों से लगातार देखने को मिला है कि, पार्टियां प्रदेश की आधी आबादी मतलब महिला वोटरों पर खास फोकस रखे हुए हैं क्योंकि, आधी आबादी अब सत्ता बनाने या सत्ता से बेदखल करने का दमखम भी रखती है शायद यही वजह है कि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में महिलाओं को साधने में बीजेपी और कांग्रेस लगे हुए हैं
चुनावों के पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश में जितनी भी घोषणएं की हैं उन्हें पूरा करने में जुटे हुए है। शिवराज सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए महिला मतदाताओं के बीच बड़ा दांव खेला है। शिवराज सरकार ने सीधी भर्ती में महिलाओं के लिए 35% आरक्षण के आदेश जारी कर दिए हैं । इधर कांग्रेस ने भी महिला वोटरों को लुभाने के लिए नारी सम्मान योजना का ऐलान किया है जिसमें 1500 रु महीने और 500 रु में गैस सिलेंडर की घोषणा है यानी आधी आबादी पर दोनों दलों का फोकस है। दोनों दल एक दूसरे पर आरोप के साथ ताल ठोककर कह रहे है कि हम कहते नहीं बल्कि करते हैं।
2018 विधानसभा चुनाव में 230 सीटों में से 52 सीटों पर महिला वोटर्स ने ज्यादा वोटिंग की थी। इनमें 35 से ज्यादा सीटों पर बीजेपी जीती थी। 2018 के मुकाबले कुल महिला वोटर्स की संख्या बढ़ी है। यही कारण है कि महिला वोटरों पर सियासी दलों की नजर है लेकिन आधी आबादी पर दांव किसको जिताएगा चुनाव ये तो वक्त ही बताएगा।