Contract Employees Regularization: संविदा चौकीदार, माली और रसोइयों का होगा नियमितीकरण!.. कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा ‘स्थाई करना ही होगा’..

ये लोग पिछले 22 साल से वहां काम कर रहे थे बावजूद इसके औद्योगिक न्यायालय ने उनकी स्थायी नौकरी के दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि वहां कोई स्वीकृत पद उपलब्ध नहीं है।

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  • Publish Date - September 17, 2025 / 11:10 AM IST,
    Updated On - September 17, 2025 / 11:10 AM IST

Contract Employees Regularization || Image- IBC24 News File

HIGHLIGHTS
  • संविदा चौकीदारों को स्थायी करने का आदेश
  • कोर्ट बोला- पद न होने का तर्क अस्वीकार्य
  • 22 साल से सेवा दे रहे थे कर्मचारी

Contract Employees Regularization: मुंबई: महाराष्ट्र में संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में संविदा आधार पर काम कर रहे कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। प्रकरण उनके नियमितीकरण से जुड़ा हुआ है।

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स्थायी दर्जा देने से इनकार नहीं किया जा सकता :बॉम्बे हाईकोर्ट

दरअसल बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने हाल के ही एक निर्णय में कहा है कि अगर किसी नियोक्ता ने किसी कर्मचारी से लंबे समय तक सेवा ली है और पद स्वीकृत नहीं होने की वजह से उसकी नौकरी परमानेंट नहीं की जा रही है तो यह नहीं चलेगा बल्कि उसे हर हाल में स्थायी करना ही होगा। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि निरंतर सेवा की अपेक्षित अवधि पूरी कर चुके कर्मचारियों को केवल इस आधार पर स्थायी दर्जा देने से इनकार नहीं किया जा सकता कि स्वीकृत पद उपलब्ध नहीं हैं।

इसके साथ ही उच्च न्यायलय ने यह भी कहा कि अगर इस तरह से इनकार किया जाता है तो यह कर्मचारियों के निरंतर शोषण के समान होगा, जो कल्याणकारी कानूनों और सामाजिक न्याय के प्रावधानों के खिलाफ है। जस्टिस मिलिंद एन. जाधव ने संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में कार्यरत 22 वन मजदूरों की रिट याचिका पर यह फैसला सुनाया है।

चौकीदार, माली, रसोइयों का हो सकता है नियमितीकरण

Contract Employees Regularization: गौरतलब है कि, जिन मजदूरों के नियमितीकरण को लेकर हाईकोर्ट ने टिप्पणी की हिअ, वे सभी 2003 से ही संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में चौकीदार, माली, रसोइया और पिंजरों की देखभाल जैसे पदों पर सेवारत थे। इन सभी कर्मचारियों के काम में काफी जोखिम था। इनका मुख्य काम खतरनाक वन्यजीवों की देखभाल करना, उन्हें खाना और दवाई देना और जानवरों के बीमार होने पर उनकी देखरेख करने जैसे काम शामिल थे।

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हालांकि, ये लोग पिछले 22 साल से वहां काम कर रहे थे बावजूद इसके औद्योगिक न्यायालय ने उनकी स्थायी नौकरी के दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि वहां कोई स्वीकृत पद उपलब्ध नहीं है। इस कोर्ट के फैसले के खिलाफ ये लोग हाई कोर्ट पहुंचे थे। याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि उन्होंने वन विभाग द्वारा बनाए गए उपस्थिति रजिस्टर में दर्ज हाजिरी के अनुसार, लगातार पाँच वर्षों तक हरेक कैलेंडर वर्ष में 240 दिनों की सेवा पूरी की है।

1. क्या संविदा कर्मचारियों को कोर्ट ने स्थायी करने का आदेश दिया है?

हां, बॉम्बे हाईकोर्ट ने निरंतर सेवा देने वाले कर्मचारियों को स्थायी करने को कहा।

2. कोर्ट ने किस आधार पर यह फैसला सुनाया?

लगातार 240 दिन सेवा देने और कल्याणकारी सिद्धांतों के आधार पर।

3. आदेश किन कर्मचारियों पर लागू होता है?

संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के चौकीदार, माली, रसोइया जैसे संविदा कर्मचारी।