आज है संतान सप्तमी, बच्चों की मंगलकामना के लिए व्रत रखेंगी महिलाएं, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त जानें यहां
Santan Saptami is Today : संतान सप्तमी का व्रत संतान की मंगलकामना के लिए किया जाता है। इस बार आज यानि शनिवार को महिलाएं यह व्रत रखेंगी।
नई दिल्ली : Santan Saptami is Today : संतान सप्तमी का व्रत संतान की मंगलकामना के लिए किया जाता है। इस बार आज यानि शनिवार को महिलाएं यह व्रत रखेंगी। इस व्रत को संतान सांतें, अपराजिता सप्तमी और मुक्ताभरण सप्तमी के रूप में भी मनाया जाता है। राजस्थान में इसे दुब्ली सातें या दुबड़ी सप्तमी भी कहते हैं।
संतान सप्तमी पर बन रहे ये शुभ योग
Santan Saptami is Today : पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 2 सितंबर, शुक्रवार को दोपहर 12:28 से शुरू होकर 3 सितंबर, शनिवार दोपहर 12:28 तक रहेगी। शनिवार को अनुराधा नक्षत्र होने से अमृत नाम का शुभ योग इस दिन बनेगा। इस योग में संतान सातें का व्रत करना बहुत ही शुभ रहेगा।
इस विधि से करें पूजा
Santan Saptami is Today : संतान सप्तमी की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। घर में किसी स्थान को साफ कर उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। परिवार के साथ भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
पानी से भरा कलश लेकर इस पर स्वस्तिक का चिह्न बनाएं और आम के पत्तों से ढंककर इसके ऊपर नारियल रख दें। शुद्ध घी का दीया जलाएं और फूल, चावल, पान और सुपारी चढ़ाएं।
यह भी पढ़े : स्कूल का प्रधान अध्यापक और शिक्षक गिरफ्तार, प्रार्थना के दौरान छात्र के साथ….
Santan Saptami is Today : शिवजी को वस्त्र स्वरूप लाल मौली (लाल धागा) चढ़ाएं। खीर-पुरी का प्रसाद और आटे और गुड़ से बने मीठे पुए का भोग लगाएं। संतान सप्तमी व्रत की कथा सुनें। अंत में आरती कर पूजा का समापन करें।
इस दिन व्रत रखें। अपनी इच्छा अनुसार फलाहार कर सकते हैं। शाम को एक बार पुन: शिवजी के पूजा करने के बाद भोजन कर सकते हैं। इस प्रकार संतान सप्तमी का व्रत करने से संतान की सेहत ठीक रहती है।
यह भी पढ़े : 50 की उम्र में भी दिखना है जवान तो अपनाएं ये तरिका, डैमेज नहीं होगी स्किन
संतान सप्तमी की व्रत कथा
Santan Saptami is Today : पौराणिक कथाओं के अनुसार, किसी समय अयोध्यापुरी में राजा नहुष राज्य करते थे। उनकी पत्नी चंद्रमुखी और उसी राज्य में रह रहे विष्णुदत्त नाम के ब्राह्मण की पत्नी रूपवती अच्छी सहेली थी। एक दिन वे दोनों नदी स्नान करने गईं। वहां सभी महिलाएं संतान सप्तमी की पूजा कर रही थी। उन दोनों ने भी व्रत का संकल्प किया लेकिन घर आने पर दोनों भूल गईं।
अगले जन्म में वो रानी वानरी और ब्राह्मणी ने मुर्गी बनी। इसके बाद वे पुन: मानव योनि में जन्म लिया। इस बार रानी चंद्रमुखी मथुरा के राजा की रानी ईश्वरी बनी और ब्राह्मणी का नाम भूषणा था। इस जन्म में भी दोनों में बड़ा प्रेम था। भूषणा को ने इस जन्म में संतान सप्तमी का व्रत किया, जिससे उसे आठ संतान हुई।
यह भी पढ़े : इतिहास की सबसे भीषण बाढ़ ने मचाई तबाही, 1200 के पार हुआ आंकड़ा, जनजीवन हुआ अस्त-व्यस्त
Santan Saptami is Today : लेकिन रानी को इस जन्म में भी संतान नहीं हुई क्योंकि ये व्रत नहीं किया था। भूषणा को पुनर्जन्म की बातें याद थी। उसने ये बात जाकर रानी को बताई। इसके बाद रानी ने भी संतान सप्तमी का व्रत किया, जिसके फलस्वरूप उसे भी संतान सुख मिला।

Facebook



