झारखंड विधानसभा में 7,721 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पारित

झारखंड विधानसभा में 7,721 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पारित

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  • Publish Date - December 9, 2025 / 09:43 PM IST,
    Updated On - December 9, 2025 / 09:43 PM IST

रांची, नौ दिसंबर (भाषा) झारखंड विधानसभा ने मंगलवार को भाजपा विधायकों के बहिर्गमन के बीच चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 7,721.25 करोड़ रुपये का दूसरा अनुपूरक बजट ध्वनि मत से पारित कर दिया।

वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने सोमवार को विधानसभा में चालू वित्त वर्ष के लिए अनुपूरक बजट पेश किया था। इसमें महिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग के लिए 2,082.25 करोड़ रुपये, ग्रामीण कार्यों के लिए 1,324.82 करोड़ रुपये और स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण के लिए 729.75 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।

किशोर ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार झारखंड के साथ सहयोग नहीं कर रही है और राज्य का 28,463 करोड़ रुपये का बकाया भारत सरकार के पास लंबित है।

मंगलवार को सदन की कार्यवाही के दूसरे भाग में अनुपूरक बजट पर चर्चा हुई। इस बहस में 13 सदस्यों ने भाग लिया।

राज्य सरकार की ओर से चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार का वित्तीय प्रबंधन अनुशासित और मजबूत है।

उन्होंने कहा कि 7,721.25 करोड़ रुपये के अनुपूरक बजट में से योजनाओं के लिए 6,554.61 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जबकि स्थापना मद के लिए मात्र 966.64 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

सरकारी खजाना खाली करने के विपक्ष के आरोप की आलोचना करते हुए किशोर ने कहा कि राज्य के खजाने में धन की कोई कमी नहीं है।

उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 1.45 लाख करोड़ रुपये का वार्षिक बजट मार्च में राज्य विधानसभा ने पारित किया था, जिसमें से 91,000 करोड़ रुपये योजनाओं के लिए और 54,000 करोड़ रुपये स्थापना मद के लिए आवंटित किए गए थे।

राज्य के राजस्व संग्रह और व्यय के आंकड़े प्रदान करते हुए किशोर ने कहा, ‘41,600 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले, सरकार को 30 नवंबर तक राज्य के स्वयं के करों से 23,897.06 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं, जो कुल संग्रह का 57 प्रतिशत है। हमें 31 मार्च तक 90 प्रतिशत से ऊपर हासिल करने की उम्मीद है।”

राज्य का कुल राजस्व संग्रह 30 नवंबर तक 67,696.37 करोड़ रुपये था, जबकि व्यय 66,871.42 करोड़ रुपये था।

केंद्र सरकार पर राज्य का हिस्सा नहीं देने का आरोप लगाते हुए किशोर ने कहा, ‘झारखंड को केंद्रीय करों से हिस्से के रूप में 47,040 करोड़ रुपये और अनुदान सहायता के रूप में 17,057 करोड़ रुपये मिलने हैं। लेकिन 30 नवंबर तक हमें केंद्रीय कर हिस्से के रूप में 30,971 करोड़ रुपये और अनुदान सहायता के रूप में 4,261 करोड़ रुपये मिले हैं। झारखंड का 28,463.64 करोड़ रुपये अभी भी केंद्र के पास लंबित है।’

उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार राज्य के विकास के लिए 16,800 करोड़ रुपये का ऋण लेने की योजना बना रही है, क्योंकि केंद्र सहयोग नहीं कर रहा है।

भाषा

योगेश प्रेम

प्रेम