National Ramayana Festival
रायपुरः National Ramayana Festival छत्तीसगढ़ सरकार ने राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का ऐलान किया है। रायगढ़ में 1 जून से होने जा रहे 3 दिवसीय रामायण महोत्सव की तैयारियां तेज हो गई हैं और इसी के साथ इस पर राजनीति भी तेज हो गई है। भाजपा ने इस महोत्सव को चुनावी बताया तो कांग्रेस ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया। सवाल है कि धार्मिक आयोजनों पर राजनीतिक बयानबाजी क्यों होती है और खासकर राम का मुद्दा आने पर भाजपा को ऐतराज क्यों होता है। क्या भाजपा नहीं चाहती कि रामायण महोत्सव हो।
National Ramayana Festival धीरज धर्म मित्र अरु नारी.. आपद काल परिखिअहिं चारी’.. रामायण के अरण्यकांड की इस चौपाई का अर्थ है- धैर्य, धर्म, मित्र और स्त्री-इन चारों की विपत्ति के समय ही परीक्षा होती है। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में 1 जून से पहली बार राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें शूर्पणखा वध से सीता हरण के अरण्यकांड की विशेष प्रस्तुति होगी। इस आयोजन में देश-विदेश के कलाकार शामिल होंगे। इसके लिए CM भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्रियों को पत्र भी लिखा है।
सरकार धार्मिक आयोजन करे और इस पर राजनीति ना हो भला ये कैसे हो सकता है। राष्ट्रीय रामायण महोत्सव शुरू होने से पहले ही इस पर भी राजनीति शुरू हो गई है। भूपेश सरकार की पहल को भाजपा चुनावी स्टंट करार दे रही है तो वहीं कांग्रेस भांजा राम से जुड़े रिश्ते और संस्कृति की बात कह रही है।
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मान्यता है कि वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम दंडकारण्य से होकर गुजरे थे और छत्तीसगढ़ के वनों का हिस्सा ही दंडक अरण्य का हिस्सा था। ऐसे में श्रीराम वनगमन पथ और भांचा राम के ननिहाल चंद्रखुरी में कौशल्या महोत्सव के बाद अब रामायण महोत्सव के जरिए कांग्रेस हिंदुत्व के रथ पर सवार हो गई है और यही बात भाजपा को नागवार गुजर रही है।