Bhojan ke Niyam : क्या थाली में जूठन छोड़ने से होता है देवी अन्नपूर्णा का अपमान? इसकी सज़ा जान गए तो कभी नहीं करेंगे ये गलती..

Does leaving food on your plate disrespect Goddess Annapurna? Know the consequences, and you’ll never make this mistake again..

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  • Publish Date - September 13, 2025 / 02:50 PM IST,
    Updated On - September 13, 2025 / 02:53 PM IST

Bhojan ke niyam

Bhojan ke Niyam : भारत एक ऐसा देश है जहाँ आज भी बहुत से लोग भूखे सोते हैं। ऐसे में भोजन बर्बाद करना एक गंभीर सामाजिक बुराई माना जाता है। ऐसे तो थाली में झूठा भोजन छोड़ने के लिए कोई कानूनी सज़ा नहीं है, लेकिन धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं में इसके कई नकारात्मक परिणाम बताए गए हैं।

Bhojan ke Niyam

हिंदू धर्म में भोजन को अन्नपूर्णा देवी का रूप माना जाता है। थाली में जूठन छोड़ने से उनका और माता लक्ष्मी का अपमान होता है, ऐसा करने वालों को जीवन में धन, अन्न, सुख, समृद्धि की कमी बनी रहती है लेकिन कई बार वो इस गलती को पहचान नहीं पाते कि आखिर मेहनत करने और सब कुछ सही होने के बाद भी ऐसा क्यों हो रहा है। मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से पितर भी अप्रसन्न होते हैं, जिससे पितृ दोष लग सकता है और परिवार को परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं।

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अक्सर बड़े बुजुर्गों कहते हैं कि जितना खाना हो थाली में उतना ही लें, लेकिन कुछ लोग एकसाथ अधिक भोजन ले लेते हैं और फिर उसे जूठा छोड़ देते हैं। ज्योतिष में इसे कुंडली में बुध और बृहस्पति के कमजोर होने का संकेत माना जाता है। इससे मानसिक तनाव, शनि और चंद्रमा के अशुभ प्रभाव और जीवन में नकारात्मकता बढ़ सकती है।

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थाली में जूठा छोड़ना भूल हो यां लापरवाही, गलती तो है और उसकी सज़ा भी मिलती है। कुछ मान्यताओं में यह भी कहा गया है कि जान-बूझकर भोजन छोड़ने वाला व्यक्ति अगले जन्म में जूठा खाने को मजबूर हो सकता है। अन्न का अनादर करने वालों के घर मां लक्ष्मी कभी वास नहीं करती हैं, फिर चाहे आप कितनी पूजा-पाठ क्यों न कर लें। साथ ही पितरों का आशीर्वाद भी नहीं मिलता, और शनि देव के प्रकोप भी झेलने पड़ते हैं रामायण में एक कहानी है, जिसमें हनुमान जी ने रावण की जूठी थाली में दही देख लिया था, जिससे वह समझ गए कि रावण का अंत निकट है।

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थाली में बचा हुआ भोजन गाय को भी नहीं देना चाहिए, खासकर यदि वह जूठा हो या उसमें लहसुन, प्याज जैसे तामसिक पदार्थ हों, क्योंकि यह धार्मिक रूप से सही नहीं माना जाता है।

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