यूपीए कार्यकाल के जीडीपी आंकड़े घटाए जाने पर चिदंबरम का हमला, कहा- नीति आयोग बेकार संस्था, कर देना चाहिए बंद | Chidambaram attack on decreasing GDP figures of UPA tenure

यूपीए कार्यकाल के जीडीपी आंकड़े घटाए जाने पर चिदंबरम का हमला, कहा- नीति आयोग बेकार संस्था, कर देना चाहिए बंद

यूपीए कार्यकाल के जीडीपी आंकड़े घटाए जाने पर चिदंबरम का हमला, कहा- नीति आयोग बेकार संस्था, कर देना चाहिए बंद

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:46 PM IST, Published Date : November 29, 2018/9:08 am IST

नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार के लोकसभा चुनाव से पहले पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार के दस साल के कार्यकाल के अधिकांश वर्षों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े घटाने के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर हमला बोला है। दरअसल आंकड़े घटाने के बाद यूपीए सरकार के दौरान जीडीपी के आंकड़ों में एक से दो प्रतिशत से ज्यादा की कमी आ गई है। इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने नीति आयोग पर हमला बोलते हुए कहा है कि इस बेकार संस्था को बंद कर दिया जाना चाहिए।

बता दें कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और मुख्य सांख्यिकीविद प्रवीण श्रीवास्तव ने बुधवार को जीडीपी के संशोधित किए गए आंकड़े जारी किए। इसमें आंकड़ों को 2004-05 के आधार वर्ष के बजाय 2011-12 के आधार वर्ष के हिसाब से संशोधित किया गया है, ताकि अर्थव्यवस्था की अधिक वास्तविक तस्वीर सामने आ सके। इससे यूपीए सरकार के कार्यकाल के उस एकमात्र वर्ष के आंकड़ों में भी एक प्रतिशत से अधिक कमी आई है जब देश ने दो अंकों में वृद्धि दर्ज की थी। साथ ही, 9 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी दर वाले तीन सालों के आंकड़ों में भी एक फीसदी की कमी आई है।

इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट किया कि ‘नीति आयोग के संशोधित जीडीपी आंकड़े एक मजाक हैं। वे एक बुरा मजाक हैं। असल में वे एक बुरे मजाक से भी बदतर हैं। इन आंकड़ों का उद्देश्य मान-सम्मान को धक्का पहुंचाना है। अब जब नीति आयोग ने मान सम्मान को धक्का पहुंचाने का काम किया है, तब समय आ गया है कि इस पूरी तरह से बेकार संस्था को बंद कर दिया जाना चाहिए। इससे पहले के आंकड़ों की गणना राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग करती थी। क्या आयोग को भंग कर दिया गया है’?

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बता दें कि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी ताजा समायोजित आंकड़ों के अनुसार 2010-11 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.5 फीसदी रही थी। जबकि अनुमान 10.3 फीसदी वृद्धि का लगाया गया था। 2005-06 और 2006-07 के 9.3-9.3 फीसदी के वृद्धि दर के आंकड़ों को घटाकर क्रमश: 7.9 और 8.1 प्रतिशत किया गया है। जबकिह 2007-08 के 9.8 फीसदी के वृद्धि दर के आंकड़े को घटाकर 7.7 प्रतिशत किया गया है।

 
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