छत्‍तीसगढ़ की ऐतिहासिक गुफाएं | Historical Caves of Chhattisgarh

छत्‍तीसगढ़ की ऐतिहासिक गुफाएं

छत्‍तीसगढ़ की ऐतिहासिक गुफाएं

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 03:18 AM IST, Published Date : January 20, 2018/1:29 pm IST

छत्‍तीसगढ़ की ऐतिहासिक गुफाएं 

 

प्रकृति की गोद में बसा छत्‍तीसगढ़ अपने प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। छत्‍तीसगढ़ में कई ऐतिहासिक तथा पुरात्विक महत्‍व के गुफाएं हैं। यहां भारत की सबसे गहरी गुफा कुटुमसर है, जिसकी तुलना अमेरिका स्थित गुफा ‘कार्ल्‍सवार आफ केव’ से की जाती है। यहां कबरा पहाड़ गुफा तथा सिंघनपुर गुफा भी है, जहां पाषाण कालीन मानव इतिहास के प्रमाण मिले हैं। इसके अलावा रामगढ़ गुफा भी जिसे विश्‍व की प्राचीनतम नाट्यशाला होने का गौरव प्राप्‍त है। अजंता गुफाओं के समकालीन जोगीमरा की गुफा भी स्थित है।

 

 

 

कुटुमसर गुफा

  यह गुफा छत्‍तीसगढ़ के बस्‍तर जिले में स्थित है। यह गुफा बस्‍तर जिला के जिला मुख्‍यालय जगदलपुर से 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कुटुमसर गुफा कांगेरघाटी राष्‍ट्रीय उद्यान में स्थित है। यह एक भू-गर्भित गुफा है जो  भारत की सबसे गहरी गुफा मानी जाती है। इस गुफा की गहराई जमीन से 60 फीट से 125 फीट तक है। इसकी लंबाई 4500 फीट है।

  इस गुफा की खोज भूगोलवेत्‍ता प्रोफेसर शंकर तिवारी ने की है। उन्‍हाने इस अज्ञात स्‍थल की खोज 1954 के मध्‍य में किया। गुफा की छत पर लटकते चूने के स्‍लेटमाईट एवं स्‍लेटराईट के स्‍तम्‍भ है, जो बहुत ही आकर्षक लगते हैं। यहां स्‍लेटराईट एवं स्‍लेटमाईट से विभिन्‍न प्रकार की आकृतियां बनी हुई, जो दर्शनीय है। इस गुफा की  द्वार बहुत ही छोटी है जिसमें एक बार में केवल एक ही आदमी प्रवेश कर सकते हैं किन्‍तु गुफा का अंदर का भाग बहुत ही बड़ा है, जिसमें सैकडों लोग एक साथ आ सकते हैं। इस गुफा में कहीं कहीं पर शिवलिंग के सामान आकृतियां बनी हुई है, जो शिवलिंग की मूर्तियों की समान दिखाई पड़ती है।  इस गुफा की तुलना अमेरिका स्थित गुफा ‘कार्ल्‍सवार आफ केव’ से की जाती है, जो कि विश्‍व की सबसे लंबी गुफा है। इस गुफा के अंदर रंग-बिरंगी अंधी मछलियां पायी जाती है। यहां लंबी पूछ वाले झींगूर पाये जाते हैं, जिसकी प्रजाति का नाम प्रो.शंकर तिवारी के नाम पर ”केप्‍पीओला शंकराई” नाम दिया गया है। वर्षा ऋतु में इस गुफा के अंदर छोटी नदियां बहती है, जिस कारण इस ऋतु में इस गुफा में प्रवेश करने की मनाही है। कुटुमसर की गुफा भ्रमण हेतु नवम्‍बर से मई तक खुला रहता है।

 

कबरा पहाड़ गुफा

       यह गुफा रायगढ़ जिले में स्थित है। यह रायगढ़ से 8 किलोमीटर पूर्व की दिशा में स्थित है, जो विश्‍वनाथपाली तथा भद्रपाली के निकट है। इस गुफा में प्राचीनतम मानव निवास के प्रमाण मिले हैं। यहां पाषाणकालीन मानव द्वारा रंगीन चित्रकारी की गई है। यहां लगभग 2000 फीट की उंचाई पर गहरे गैरिक रंग के शैलचित्र बने हुए हैं। जिनमें हिरण, घोड़ा तथा कछुआ के चित्र बने हुए हैं। इन चित्रों का सौंदर्य तथा रेखांकन उच्‍च कोटि का है। यहां जंगली भैंसे का बहुत बड़ा चित्र भी है।

 

सिंघनपुर गुफा

       सिंघनपुर गुफा रायगढ़ जिले में स्थित है। यह रायगढ़ जिला मुख्‍यालय से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह रायगढ़ तथा खरसिया के बीच भूपदेवपुर रेलवे स्‍टेशन से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सिंघनपुर में विश्‍व की सबसे प्राचीनतम मानव शैलाश्रय स्थित है। यह गुफा 30 हजार साल पुराना है। यहां पाषाणकालीन अवशेष पाये गए हैं तथा छत्‍तीसगढ़ में प्राचीनतम मानव निवास के प्रमाण मिले हैं। यह गुफा स्‍पेन- मेक्सिकों में प्राप्‍त शैलाश्रयों के समकालीन माने जाते हैं। यहां प्राप्‍त प्रागैतिहासिक कालीन तीन गुफाएं लगभग 300 मीटर लंबी तथा 7 फुट उंची है। इस गुफा के के बाहय दीवारों पर पशु एवं मानव की आकृतियां बनी हुई है, शिकार के दृश्‍य भी बने हुए हैं, जो बहुत ही सुंदर लगते हैं। देश में अब तक प्राप्‍त शैलाश्रयों में प्रागैतिहासिक मानव तथा नृत्‍यसांगना की चित्र केवल  सिंघनपुर के शैलआश्रयों में प्राप्‍त है।

 

रामगढ़ गुफा

रामगढ़ गुफा सरगुजा जिले में स्थित है। यह गुफा विंध्‍याचल पर्वत श्रृंखला का एक अंग है। यहां विश्‍व की प्राचीनतम नाट्यशाला स्थित है, जिसे सीता बेंगरा के नाम से जाना जाता है। प्राचीन मान्‍यता के अनुसार भगवान श्रीराम ने वनवास के समय कुछ समय यहीं व्‍यतीत किए थे। इस गुफा में कालीदास ने मेघदूतम की रचना की थी। यह गुफा कवि कालीदास की यक्ष की विरह स्‍थली कही जाती है। कालीदास द्वारा रचित मेघदूतम में रामगिरी का उल्‍लेख है।

जोगीमारा गुफा

       यह गुफा रायगढ़ जिले में रामगिरी पर्वत पर सीताबेंगरा गुफा के निकट स्थित है। जोगीमारा गुफा को भारतीय चित्रकला का वरूण मंदिर कहा जाता है। इस गुफा में यक्ष, किन्‍नर, देवी देवताओं के चित्र बने हुए हैं, जो अजंता की गुफाओं के समकालीन है। यहां गुफा की छत पर रंग बिरंगें चित्र, पतती-पुष्‍प, पशु-पक्षी, नर-नारी, देवी- देवताओं दानव, योध्‍दा, वृक्ष, हाथी के चित्र अंकित है। प्रसिध्‍द पुरातत्‍ववेत्‍ता केप्‍टन टी ब्‍लाश ने सन 1904 में इन चित्रों का अवलोकन किया था, जिसे 2000 वर्षों से भी अधिक पुराना माना है। यहां पाली भाषा एवं ब्राम्‍ही लिपि में उत्‍कीर्ण लेख प्राप्‍त हुआ है, जिससे यह ज्ञात होता है कि यह गुफा मौर्यकालीन है। यह गुफा तीसरी शताब्‍दी का है।

       राज्‍य  की अन्य गुफाएं 

·         हाथी पोर की गुफाएं             : रामगढ़ के पास (सरगुजा जिला)

·         सीताबेंगरा गुफा                : रामगढ़ के पास (सरगुजा जिला)

·         लक्ष्‍मण बेंगरा गुफा             : रामगढ़ के पास (सरगुजा जिला)

·         सीतामढ़ी गुफा                 : घाघरा (सरगुजा जिला)

·         हरचौका की गुफा               : मरवाही, जनकपुर तहसील (कोरिया जिला)

·         कांगेर करपन गुफा              : कांगेर घाटी (बस्‍तर जिला)

·         दण्‍डक गुफा                   : कांगेर घाटी (बस्‍तर जिला)

·         देवगिरी गुफा                  : कांगेर घाटी (बस्‍तर जिला)

·         जोगी गुफा                    : कांकेर (कांकेर जिला)

·         शीत गुफा                    : कांगेर घाटी (बस्‍तर जिला)

·         गुप्‍तेश्‍वर गुफा                 : कांगेर घाटी (बस्‍तर जिला)

·         लाफा(चैतुरगढ़) की गुफा         : लाफा (कोरबा जिला)

·         खुडि़या रानी गुफा              : खुडि़या रानी, बगीचा (जशपुर जिला)

·         कैलाश गुफा                   : बगीचा के पास (जशपुर जिला)

·         अरण्‍यक गुफा                 : मंगलपुरी पहाड़ी (बस्‍तर जिला)

·         सरोवर गुफा                   : सिहावा (धमतरी जिला)

·         आरा पहाड़ की गुफाएं           : राजपुर (सरगुजा जिला)

·         दंतेश्‍वरी गुफा                  : सिहावा (धमतरी जिला)

 

·         अमर गुफा                    : सोनबरसा, खरसिया (रायगढ़ जिला)

 

 

कैलाश गुफा

       कैलाश गुफा बस्‍तर जिले के कांगेर घाटी राष्‍ट्रीय उद्यान में स्थित एक प्राकृतिक गुफा है। यह जिला मुख्‍यालय जगदलपुर से दक्षिण पूर्व की ओर फैली हुई तुलसी डोंगरी की पहाड़ी पर स्थित है। यह गुफा 250 मीटर लंबी तथा 35 मीटर गहरी है। इस गुफा में जगह- जगह शिवलिंग जैसी आकृतियां बनी हुई है, जिस कारण से इस गुफा को कैलाश गुफा के नाम से जाना जाता है। यह गुफा कुटुमसर गुफा के समान दिखाई पड़ता है। इस गुफा के बाहर कैलाश झील स्थित है।

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