केरल। केरल की बाढ़ को केंद्र सरकार ने गंभीर किस्म की आपदा घोषित कर दिया है। इस श्रेणी की आपदा के लिए प्रभावित राज्य को राष्ट्रीय स्तर पर सहायता मुहैया करवाई जाती है। केरल में बारिश थमने के बाद स्थिति सुधरने लगी है। हालांकि, एर्नाकुलम और अलप्पुझा जिले के अंदरूनी हिस्से चेंगनूर में फंसे कई लोगों को मदद का इंतजार है। इन्हें निकालने के लिए बचाव अभियान जारी है। फंसे लोगों की मदद करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि पानी उतरना शुरू हो गया है, पर अब भी 7 लाख लोग शिविरों में हैं, वहीं हजारों लोग पानी में फंसे हैं और उन्हें ड्रोन से मदद पहुंचाया जा रहा है।
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इससे पहले केरल हाई कोर्ट को केंद्र ने सूचित किया कि राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है। कांग्रेस और दूसरे दल राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग कर रहे थे। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि पिछले एक सप्ताह में बाढ़, बारिश और भूस्खलन के कारण हुए नुकसान को देख यह निर्णय लिया गया। जब किसी आपदा को दुर्लभ गंभीर/गंभीर प्रकृति का घोषित किया जाता है तो राज्य सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर मदद दी जाती है। केंद्र राष्ट्रीय आपदा कोष से भी अतिरिक्त मदद देने पर विचार कर रहा है। केरल में रविवार को बारिश थमने से लोगों ने थोड़ी राहत की सांस जरूर ली है, लेकिन अभी भी उनकी कठिनाई जस की तस है। सभी जिलों में जिलाधिकारी व्यवस्था पर नजर बनाए हुए हैं।
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केंद्रीय मंत्री जे अल्फोंस ने कहा कि इस मुसीबत के समय में मछुआरे सबसे बड़े हीरो बनकर उभरे हैं। बचाव अभियान के दौरान उन्होंने अपनी करीब 600 नावें मदद के लिए दी। बाढ़ के कारण किसी भी घर में बिजली नहीं है, न ही अन्य तरह की सुविधाएं हैं। अभी सबसे ज्यादा वहां पर इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, कारपेंटर की जरूरत है। अभी वहां खाना और कपड़े की जरूरत नहीं है।
वेब डेस्क, IBC24
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