पुणे। आखिरकार तीन साल की क़ानूनी लड़ाई के बाद एचाईवी पोसिटिव एक महिला कर्मचारी को न्याय मिल ही गया है। बताया जा रहा है कि एक फार्मासिटिकल कंपनी से महिला को उस वक्त निकाल दिया गया था जब उसकी मेडिक्लेम रिपोर्ट से पता चला था कि उसे एडस है। और उसके बाद तीन साल की कानूनी लड़ाई के बाद महिला कर्मचारी को न्याय मिला और लेबर कोर्ट ने कंपनी को दोबारा नौकरी पर रखने का आदेश दिया। बता दें कि सोमवार को लेबर कोर्ट ने कंपनी को आदेश दिया कि महिला कर्मचारी को उसी पद पर दोबारा रखा जाए, जिस पद पर वह थी और साथ ही उसके पिछले सभी वेतन दिए जाएं।
Woman who was terminated from a company for being HIV+ve: I was asked to submit document for Mediclaim&when I did that, they asked me about it(HIV). I told them I got it from my husband & within 30 mins, they forced me to resign. I was working there as trainee operator for 5 yrs pic.twitter.com/9kU6qqG1ZX
— ANI (@ANI) December 3, 2018
पांच सालों तक ट्रेनी ऑपरेटर के पद में कार्यरत इस महिला को उस वक्त सबसे ज्यादा झटका लगा। जब उसे मेडिकल क्लेम रिपोर्ट जमा करने के लिए डाक्यूमेंट मांगा गया और उसके बाद उससे एचआईवी के बारे में पूछा गया उस दौरान महिला ने बताया कि हां मेरे पति से यह बीमारी हुई है।
Pune: Labour court orders a Pharma company to reinstate a woman employee terminated 3 years ago & to provide her wages of that period. The woman had moved the court saying she was forced to resign for having HIV, but the company mentioned ‘Absenteeism’ in documents. #Maharashtra pic.twitter.com/8FBWeiU7Yv
— ANI (@ANI) December 3, 2018
इतना सुनते ही कम्पनी ने आधे घंटे के अंदर ही उसे इस्तीफा देने के लिए दबाव डाला। हालांकि कम्पनी ने लिखित में वजह उसका काम के दौरान अनुपस्थित होना बताया था।