नई दिल्ली। दिल्ली के जवाहर लाल स्टेडियम से सटे सीजीओ कॉम्पलेक्स में स्टाफ सेलेक्शन कमीशन यानी कर्मचारी भर्ती आयोग का मुख्यालय है। होली के दिन देश के बाकी दफ्तरों की तरह यहां भी सार्वजनिक छुट्टी थी, लेकिन इस साल होली पर यहां एक दूसरा ही माहौल था। देश भर से आए छात्रों का हुजूम यहां जमा था और कोई भी होली नहीं खेल रहा था, बल्कि इन्होंने काली होली मनाने का ऐलान कर रखा था। मीडिया और सोशल मीडिया पर होली की बधाइयों, नेताओं की होली की तस्वीरें, वीडियो की भरमार थी और इन प्रदर्शनकारी छात्रों की खबरें इक्की-दुक्की ही नजर आ रही थीं। सवाल ये है कि जब नेता होली की मस्ती में डूबे थे, तब छात्रों को काली होली मनाने की आखिर नौबत क्यों आन पड़ी थी? आखिर क्या है ये पूरा मामला, जिसे लेकर देश भर के छात्रों की चिंता दिल्ली में सीजीओ कॉम्पलेक्स के बाहर जुटे छात्रों के साथ जुड़ गई है।
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दरअसल, कर्मचारी चयन आयोग ने सीजीएल 2017 के टियर 2 की जिस परीक्षा का आयोजन किया था, उसके प्रश्नपत्र और उत्तर कथित तौर पर लीक हो गई थी। ये परीक्षा 17 फरवरी से 22 फरवरी के बीच कराई गई थी, जो ऑनलाइन परीक्षा थी। छात्रों का कहना है कि परीक्षा जैसे ही शुरू हुई, उसके कुछ ही देर के भीतर सवाल और जवाब लीक हो गए। जैसे ही एसएससी परीक्षा के पेपर लीक की खबर आई, इसके सवाल और जवाब दोनों के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जाने लगे और देखते ही देखते वायरल हो गए। पेपर देने के बाद बाहर निकले परीक्षार्थियों को जब ये जानकारी मिली तो उन्होंने इसके खिलाफ आवाज़ उठाई और जांच की मांग की। एसएससी और मानव संसाधन मंत्रालय ने इन मांगों की अनदेखी की, जिससे छात्रों का गुस्सा भड़क गया और वो एकजुट होने लगे। इसके बाद छात्रों के दिल्ली पहुंचने और एसएससी दफ्तर के सामने जुटने का सिलसिला शुरू हुआ, जो देखते ही देखते एक बड़े प्रदर्शन में बदल गया। छात्रों की मांग है कि एसएससी में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी और धांधली हो रही है, जिसकी सीबीआई जांच की जानी चाहिए और जबतक जांच रिपोर्ट में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जाती, उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।
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आपको बता दें कि कर्मचारी चयन आयोग कई परीक्षाएं करवाता है और इन परीक्षाओं को तीन चरणों में बांटा जाता है. पहला सीजीएल, दूसरा सीएचएसएल और तीसरा एमटीएस. इन तीनों परीक्षाओँ के लिए योग्यता अलग-अलग तय की जाती है. छात्रों का कहना है कि एसएससी की परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायतें नई नहीं हैं, लेकिन भविष्य बर्बाद होने के डर से छात्रों की ओर से आवाज़ नहीं उठाई जाती थी, जिसके कारण दोषियों पर कार्रवाई नहीं की जाती। अब जिस तरह से छात्र संगठनों के साथ-साथ राजनीति और समाजसेवा से जुड़ी हस्तियों का साथ प्रदर्शनकारी छात्रों को मिलता जा रहा है, उससे इस मामले में अभी तक चुप्पी साधे बैठी सरकार पर भी कार्रवाई का दबाव बढ़ता जा रहा है।
वेब डेस्क, IBC24
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