रायपुर। Chhattisgarh Assembly Election 2023 छत्तीसगढ़ की 90 सीटों पर दो चरणों में वोटिंग के बाद, बाजी किसने जीती, कौन सरकार बना रहा है इसे लेकर दावों और कयासों का दौर जारी है। तमाम ऐजेंसियां और एक्सपर्ट वोटिंग परसेंट, वोटिंग पैटर्न और वोटिंग डीटेल्स लेकर ये आंकलन करने में जुटे हैं की आखिर इस बार किसे कहां से बढ़त मिली होगी। किस वर्ग का वोट कहां पड़ सकता है इसे लेकर तरह-तरह के तर्क हैं इन सब के बीच कुछ फैक्ट्स हैं जिन्हें इग्नोर नहीं किया जा सकता क्योंकि ये फैक्ट्स चुनावी गणित का आधार हैं मसलन इस बार छत्तीसगढ़ में महिला वोटर्स ने, पुरुष वोटर्स के मुकाबले ज्यादा संख्या में वोट किया है और ये स्थिति कुल 90 सीटों में आधे से ज्यादा सीटों पर है। यानि महिला वोटर्स ने जिसका भी साथ दिया होगा वो सत्ता के उतने ही करीब होगा।
Chhattisgarh Assembly Election 2023 छत्तीसगढ़ निर्वाचन दफ्तर से मिले आंकडे बताते हैं कि विधानसभा चुनाव में इस बार कुल 76.31 फीसदी वोट प्रतिशत रहा है। प्रदेश की कुल 90 विधानसभा सीटों में से 50 सीटों पर पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने ज्यादा मतदान किया है। प्रदेश में दो फेज में हुए चुनाव में कुल 1 करोड़ 55 लाख 61 हजार 460 वोटर्स ने वोट किया। जिसमे से 77 लाख 48 हजार 612 पुरुष मतदाता और 78 लाख 12 हजार 631 महिला वोटर्स शामिल रहे हैं, जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है। बीते चुनाव यानि 2018 में 34 विधानसभा सीटों पर महिलाओं के मतदान का आंकड़ा पुरुषों से ज्यादा था, जबकि 2013 में केवल 18 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा संख्या में वोट डाले थे। जाहिर है मतदान को लेकर जागरूकता के लिहाज से ये उत्साह जनक स्थिती है। लेकिन इसका नतीजों पर क्या असर पड़ेगा, इसपर सियासी पंडितों का अपना-अपना नजरिया रूख है।
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इधर, पार्टियों के अपने-अपने दावे हैं इस बारे में भाजपा मानती है कि उनके मेनिफेस्टो में महतारी वंदन योजना के तहत विवाहित महिलाओं को सालाना 12 हजार रुपए देने का वादे के चलते ही महिलाओं ने ज्यादा वोट किया और भाजपा को ही इसका लाभ होगा तो दूसरी तरफ कांग्रेस को लगता है कि उसकी गृह लक्ष्मी योजना के के तहत महिलाओं ने 15 हजार रुपए सालाना मिलने के ऐलान के बाद महिलाओं के बढ़े प्रतिशत का साथ, कांग्रेस को ही होगा।
ये तो तय है कि इस बार MP-CG में विधानसभा चुनाव महिला वोटर्स पर फोकस करके ही लड़ा गया है और ये भी साफ दिखने लगा है कि जैसे पिछले चुनाव के नतीजे को किसानों के वोटों ने तय किया था इस बार के चुनाव में वही काम वर्ग के वोट कर सकते हैं, तो सवाल ये है कि क्या इन घोषणाएं के बाद महिलाओं ने किसी एक पक्ष को एक तरफा वोट किया होगा? या फिर दोनों पक्षों की एक समान घोषणाओं के तुलना के बाद ये अधिक वोटिंग भी बंटी नजर आएगी? क्या महिला वोटर्स में पिछली बार के अधूरे वायदे की नाराजगी का भी असर दिखेगा ? इतना तय है कि जीतेगा वही जिसे माताओं, बहनों का आशीर्वाद मिला होगा।