गरीब राज्यों को कर्ज के जरिये संसाधन जुटाने से रोक रहा है केंद्र: नीतीश कुमार |

गरीब राज्यों को कर्ज के जरिये संसाधन जुटाने से रोक रहा है केंद्र: नीतीश कुमार

गरीब राज्यों को कर्ज के जरिये संसाधन जुटाने से रोक रहा है केंद्र: नीतीश कुमार

:   Modified Date:  January 25, 2023 / 05:26 PM IST, Published Date : January 25, 2023/5:26 pm IST

पटना, 25 जनवरी (भाषा) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को आरोप लगाया कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार गरीब राज्यों को कर्ज के जरिये संसाधन जुटाने से रोक रही है।

जद (यू) नेता कुमार ने छह महीने से भी कम समय पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाता तोड़ लिया था। उन्होंने केंद्र के ‘‘हस्तक्षेप’’ पर निराशा व्यक्त की और इस बात पर जोर दिया कि ‘‘ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया था।’’

वह आगामी केंद्रीय बजट से अपेक्षाओं के बारे में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। कुमार ने व्यंगात्मक लहजे में कहा, ‘‘कोई क्या उम्मीद कर सकता है।’’ उन्होंने कहा कि अधिक केंद्रीय सहायता और बिहार को विशेष दर्जा देने की उनकी मांग कभी पूरी नहीं हुई।

यह पूछे जाने पर कि क्या केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन से बाहर होने के बाद से चीजें और खराब हो गई हैं, कुमार ने कोई सीधा जवाब दिये बिना कहा, ‘‘जब हम साथ थे तब भी वे राज्य की मदद नहीं कर रहे थे। वे अब भी ऐसा ही कर रहे हैं। मैं सोचता हूं कि वे गरीब राज्यों को विकसित किए बिना देश के विकास के बारे में कैसे सोचते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वे प्रचार प्रसार के अलावा शायद ही कुछ कर रहे हैं। उनका ध्यान केवल उन जगहों तक ही सीमित है, जहां उनकी नजर किसी राजनीतिक लाभ पर है। हालांकि, ऐसा लगता है कि वे अपने राजनीतिक लाभ का अधिक अनुमान लगा रहे हैं।’’

कुमार लोकसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबले के लिए एकजुट विपक्ष पर जोर देते रहे हैं।

कुमार ने कहा, ‘‘हम जैसे गरीब राज्यों को खुद के भरोसे छोड़ दिया गया है। पहले, हम उधार लेकर केंद्रीय मदद की कमी को पूरा करते थे। वह भी ठप हो गया है। हमने इस तरह का हस्तक्षेप कभी नहीं देखा।’’

हालांकि उन्होंने इस संबंध में विस्तार से नहीं बताया, लेकिन मुख्यमंत्री का परोक्ष तौर पर इशारा अगले वित्त वर्ष से राज्यों के सकल घरेलू उत्पाद का 3.5 प्रतिशत उधार लेने की प्रस्तावित सीमा की ओर था।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में पूर्व रेल मंत्री कुमार ने दोहराया कि विभाग के अलग बजट को फिर से बहाल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘रेल बजट इतना बड़ा मामला हुआ करता था। संसद के दोनों सदनों में सदस्य आम बजट की तुलना में इस पर बहस करने में अधिक समय लगाते थे। एक तरह से, आधुनिक भारतीय अर्थव्यवस्था की जड़ें रेलवे में हैं, जो अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई थी।’’

भाषा अमित पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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