जद (यू) ने प्रधानमंत्री मोदी की ओबीसी स्थिति पर संदेह जताया |

जद (यू) ने प्रधानमंत्री मोदी की ओबीसी स्थिति पर संदेह जताया

जद (यू) ने प्रधानमंत्री मोदी की ओबीसी स्थिति पर संदेह जताया

:   Modified Date:  October 14, 2023 / 10:01 PM IST, Published Date : October 14, 2023/10:01 pm IST

पटना, 14 अक्टूबर (भाषा) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने शनिवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार इस डर से जातीय जनगणना कराने में अनिच्छुक है कि प्रधानमंत्री की ओबीसी स्थिति के बारे में झूठ उजागर हो जाएगा।

जदयू के विधानपरिषद सदस्य और मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने यहां संवाददाता सम्मेलन में मोदी के इस दावे पर सवाल उठाया कि वह ‘अति पिछड़ा’ समुदाय से हैं।

नीरज ने कहा कि मोदी पर आरोप लगा कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने 2002 में अपनी जाति ‘मोध घांची’ को ओबीसी सूची में शामिल कराया।

जदयू नेता ने कहा, ‘मोदी ने यह दावा करके इस आरोप का खंडन करने की कोशिश की कि यह 1994 में किया गया था जब कांग्रेस गुजरात के साथ-साथ केंद्र में सत्ता में थी।’

उन्होंने एक कागज दिखाते हुए दावा किया यह भारत का राजपत्र है जिसमें उस साल अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल किये गये जातियों का उल्लेख है।

नीरज ने कहा, ‘घांची जाति के छह उप समूह हैं, जिनमें से केवल एक, घांची (मुस्लिम), 1994 में ओबीसी की सूची में था।’

उन्होंने भाजपा को उनके दावे को खारिज करने की चुनौती दी।

जदयू नेता ने यह भी आरोप लगाया कि मोदी ने चुनावी लाभ के लिए मोध घांचियों को ओबीसी में शामिल किया था।

उन्होंने यह भी दावा किया कि 1931 की जनगणना के अनुसार, प्रधानमंत्री की जाति में साक्षरता दर ब्राह्मणों के बराबर और राजपूतों से अधिक थी इसलिए उसे ओबीसी को दिए जाने वाले लाभों की आवश्यकता नहीं थी।

उन्होंने कहा, ‘ रिकॉर्ड पर यह दस्तावेज़ भी हैं कि 19वीं सदी की शुरुआत में, मोध घांची ब्रिटिश सरकार से आग्रह किया था कि उन्हें बनिया समुदाय में गिना जाए, न कि घांची में, जिनके साथ उन्होंने कभी भोजन नहीं किया या वैवाहिक संबंध नहीं बनाए।’

जद(यू) नेता ने कहा, ‘नीतीश कुमार सरकार द्वारा कराए गए जातीय सर्वेक्षण ने पूरे देश में हलचल पैदा कर दी है। लेकिन केंद्र इस डर से जातीय जनगणना कराने से कतरा रहा है कि गुजरात में जिस झूठ का सहारा लिया गया था, वह उजागर हो सकता है।’

उत्तर प्रदेश में अप्रैल, 2019 में एक जनसभा में प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि वह न केवल बस ओबीसी हैं बल्कि सबसे पिछड़ी जाति में भी उनका जन्म हुआ है।

इस बीच बिहार में जातीय आधारित गणना में अनियमितता बरते जाने का आरोप लगाते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा द्वारा आयोजित ‘राजभवन मार्च’ को पुलिस ने राज्यपाल के आवास से कुछ किलोमीटर दूर डाक बंगला चौराहे पर रोक दिया।

वह सैकड़ों समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गए। प्रशासन ने प्रस्ताव दिया कि 15 लोग राज्यपाल से मिल सकते हैं तब वह धरने पर उठे। कुशवाहा इस साल जनवरी में जदयू छोड़ एक नया संगठन बनाया और फिर वह भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के साथ हो गये।

प्रतिनिधिमंडल द्वारा राज्यपाल के समक्ष एक ज्ञापन सौंपा गया जिसमें आरोप लगाया गया कि सर्वेक्षण ‘फर्जी’ था क्योंकि गणना करने वालों ने बड़ी संख्या में घरों का दौरा नहीं किया और राज्य के सत्तारूढ़ महागठबंधन, विशेष रूप से राजद की संभावनाओं के अनुरूप काल्पनिक आंकड़े दर्ज किए गए।

भाषा अनवर राजकुमार

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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