बिहार के करीब पांच हजार निजी स्वास्थ केंद्र कर रहे जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियमों का उल्लंघन |

बिहार के करीब पांच हजार निजी स्वास्थ केंद्र कर रहे जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियमों का उल्लंघन

बिहार के करीब पांच हजार निजी स्वास्थ केंद्र कर रहे जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियमों का उल्लंघन

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 12:20 AM IST, Published Date : July 21, 2022/6:04 pm IST

पटना, 21 जुलाई (भाषा) बिहार में 5,226 निजी स्वास्थ्य केंद्रों (नर्सिंग होम या अस्पताल) की पहचान की गई है, जो जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2016 (बीएमडब्ल्यूएम-2016) का कथित उल्लंघन कर रहे हैं।

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएसपीसीबी) के मुताबिक ये केंद्र अपने खतरनाक बायोमेडिकल कचरे का निपटारा सामान्य कचरे के तौर पर कर रहे हैं, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरा होता है।

बीएसपीसीबी के अनुसार इसके अलावा राज्य के 15 जिलों के प्रशासनिक प्रमुख अपने-अपने क्षेत्रों में बीएमडब्ल्यूएम नियमों के प्रभावी कार्यान्वयन में स्पष्ट रूप से कम रुचि दिखा रहे हैं, क्योंकि उन्होंने 2016 में बीएमडब्ल्यूएम नियम अस्तित्व में आने के बाद से कोई बैठक नहीं की है।

बीएसपीसीबी ने बृहस्पतिवार को सभी 38 जिलों के प्रशासनिक प्रमुखों को पत्र भेजकर अपने-अपने ‘‘जिला स्तरीय निगरानी और कार्यान्वयन समिति’’ की नियमित आधार पर बैठकें करने और राज्य प्रदूषण बोर्ड को रिपोर्ट भेजने के लिए कहा।

बिहार के जिन जिलों में पिछले छह वर्षों में बीएमडब्ल्यूएम के लिए गठित निगरानी और कार्यान्वयन समिति की कोई बैठक नहीं हुई है उनमें औरंगाबाद, बक्सर, पूर्वी चंपारण, दरभंगा, गया, जमुई, कटिहार, किशनगंज, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, नालंदा, नवादा, पूर्णिया, रोहतास और शिवहर शामिल हैं।

इसके अलावा जिन जिलों में पिछले छह वर्षों में निगरानी और कार्यान्वयन समिति की केवल एक बैठक हुई वे हैं अररिया, (मई, 2019), अरवल (अक्टूबर, 2019), भोजपुर (अगस्त, 2021), गोपालगंज (अक्टूबर, 2017), कैमूर (सितंबर, 2019), लखीसराय (सितंबर, 2021), पटना (अक्टूबर, 2018), सहरसा (सितंबर, 2019) आदि।

बिहार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री नीरज कुमार सिंह ने बृहस्पतिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘यह गंभीर चिंता का विषय है कि राज्य में 5,226 स्वास्थ्य केंद्र बीएमडब्ल्यूएम नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। हम इनके खिलाफ उचित कार्रवाई शुरू करेंगे। यदि जैव चिकित्सा अपशिष्ट का प्रबंधन ठीक से नहीं किया गया,तो यह संक्रमण का उच्च जोखिम पैदा कर सकता है और खतरनाक हो सकता है।’’

बीएसपीसीबी राज्य सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के तहत कार्य करता है।

मंत्री ने आगे कहा, ‘‘जहां तक उन जिलों की बात है, जहां पिछले छह साल में निगरानी और क्रियान्वयन समिति की कोई बैठक नहीं हुई है वह भी चिंता का विषय है। इस संबंध में मैं अगले महीने सभी 38 जिलों के प्रशासनिक प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक करूंगा।’’

उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा करना और प्रत्येक व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना समय की आवश्यकता है। राज्य में पर्यावरण संरक्षण नियमों का उल्लंघन करने वालों को निश्चित रूप से दंडित किया जाएगा।

बीएमडब्ल्यूएम नियम 2016 कहता है, उपनियम (4) के तहत गठित जिला स्तरीय निगरानी समिति राज्य सलाहकार समिति को छह महीने में एक बार अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी और उसकी एक प्रति राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड या संबंधित प्रदूषण नियंत्रण समिति को भी आगे आवश्यक कार्रवाई करने के लिए भेजी जाएगी।

बीएसपीसीबी के सदस्य सचिव एस चंद्रशेखर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया जाना एक गंभीर अपराध है। बीएसपीसीबी ने मुजफ्फरपुर जिले में 395 ऐसे स्वास्थ्य केंद्रों को नोटिस/प्रस्तावित बंद करने के निर्देश भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, क्योंकि वे बार-बार नोटिस के बावजूद बीएमडब्ल्यूएम नियम 2016 का पालन नहीं कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि इसी तरह के नोटिस भागलपुर और गया के उन स्वास्थ्य केंद्रों को भेजे जा रहे हैं जिन्होंने नियमों का उल्लंघन किया है।

बीएसपीसीबी के आंकड़े के अनुसार नियमों का उल्लंघन करने वाले 459 स्वास्थ्य केंद्रों के साथ समस्तीपुर जिला सूची में सबसे ऊपर है। यहां हर दिन 1890 किलोग्राम जैव चिकित्सा अपशिष्ट उत्पन्न होता है।वहीं वैशाली में 402, पश्चिम चंपारण में 389, पटना में 305, सीवान में 286, पूर्वी चंपारण में 270 और दरभंगा में 213 ऐसे स्वास्थ्य केंद्रों की पहचान की गई है जो जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के तहत कम नहीं कर रहे हैं।

भाषा अनवर धीरज

धीरज

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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