बिहार में जी 20 की तैयारीः एएसआई ने प्रदर्शनी के लिए प्राचीन पाटलिपुत्र का लकड़ी का स्लीपर मांगा |

बिहार में जी 20 की तैयारीः एएसआई ने प्रदर्शनी के लिए प्राचीन पाटलिपुत्र का लकड़ी का स्लीपर मांगा

बिहार में जी 20 की तैयारीः एएसआई ने प्रदर्शनी के लिए प्राचीन पाटलिपुत्र का लकड़ी का स्लीपर मांगा

:   Modified Date:  February 5, 2023 / 11:45 PM IST, Published Date : February 5, 2023/11:45 pm IST

(प्रमोद कुमार)

पटना, पांच फरवरी (भाषा) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने बिहार सरकार से अनुरोध किया है कि जी 20 के प्रतिनिधियों के यहां आने पर प्राचीन पाटलिपुत्र की सुरक्षात्मक दीवार के लिए इस्तेमाल होने वाले लकड़ी के स्लीपर को उसके प्रदर्शनी हॉल के लिए उपलब्ध कराया जाए।

एएसआई पटना सर्कल के अधीक्षण पुरातत्वविद गौतमी भट्टाचार्य ने कहा कि पुरातत्व सर्वेक्षणकर्ता ने राज्य के कला, संस्कृति और युवा मामलों के विभाग को पत्र लिखकर कुम्हरार में पुनर्निर्मित हॉल में प्रदर्शनी के लिए 1912 के बाद खुदाई के दौरान मिली ऐसी प्राचीन सामग्री उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘बिहार में जी 20 प्रतिनिधियों के दौरे के मद्देनजर एएसआई ने पटना में अपने प्रदर्शनी हॉल के उन्नयन का कार्य किया है। हम पाटलिपुत्र के प्राचीन शहर के इतिहास और पुरातत्व पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक नया सेटअप करने का प्रस्ताव रखते हैं।’’

अधिकारी ने कहा कि जी 20 के विदेशी प्रतिनिधियों के अप्रैल के बाद कभी भी बिहार आने की उम्मीद है।

पुरातत्वविद ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमने बिहार सरकार से अनुरोध किया है कि वह हमें उधार के तौर पर प्राचीन पाटलिपुत्र की सुरक्षात्मक दीवार के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक लकड़ी का स्लीपर प्रदान करे जिसे कुम्हरार के प्रदर्शनी हॉल में प्रदर्शित किया जा सके।’’

कुम्हरार पटना का वह क्षेत्र है जहां 1912 के बाद एएसआई द्वारा पाटलिपुत्र के प्राचीन शहर के अवशेषों की खुदाई की गई थी।

भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘हमारी यह समझ है कि 1912 के बाद बुलंदीबाग, संदलपुर आदि एएसआई पटना सर्कल के तहत केंद्रीय रूप से संरक्षित स्थलों पर खुदाई से मिले लकड़ी के स्लीपरों को पटना संग्रहालय के भंडारगृह में रखा गया है।

उन्होंने अपने पत्र में लिखा है, ‘‘इन स्लीपरों को न तो पटना संग्रहालय में और न ही बिहार संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है । इसलिए यह हमारा विनम्र अनुरोध है कि कुम्हरार में नवीनीकृत प्रदर्शनी हॉल में प्रदर्शन के लिए एएसआई को ऐसे स्लीपर उधार दे सकते हैं।’’

बुलंदी बाग को पाटलिपुत्र में मौर्य शाही महल का हिस्सा माना जाता है।

राज्य सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग की सचिव बंदना प्रेयशी से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘हमें एएसआई द्वारा किए जा रहे उन्नयन कार्य और कुम्हरार के प्रदर्शनी हॉल में प्रदर्शित की जाने वाली इसकी डिजाइन और कलाकृतियों को समझने की जरूरत है।’’

उल्लेखनीय है कि मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य ने पाटलिपुत्र को अपनी राजधानी बनाया था।

प्राचीन भारत में पाटलिपुत्र के महत्व को समझाते हुए पुरातत्वविद ने कहा, ‘‘शहर की अनुमानतः सतह 25.5 वर्ग किलोमीटर और परिधि 33.8 किलोमीटर थी और एक समांतर चतुर्भुज के आकार में था और इसमें 64 द्वार थे।’’

उन्होंने कहा कि पाटलिपुत्र समृद्धि के शिखर पर तब पहुंची जब यह मौर्य सम्राटों चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक की राजधानी थी।

भाषा अनवर

राजकुमार

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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